For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अब तीरगी से जंग कोई आर पार हो

221 2121 1221 212

कुछ दिन से देखता हूँ बहुत बेकरार हो।।
कह दूँ मैं दिल की बात अगर ऐतबार हो ।।

परवाने  की ख़ता थी  मुहब्बत चिराग  से ।
करिए न ऐसा इश्क़ जहां जां निसार हो ।।

रिश्तों की वो इमारतें ढहती जरूर हैं ।
बुनियाद में ही गर कहीं आई दरार हो ।।

कीमत खुली हवा की जरा उनसे पूँछिये ।
जिनको अभी तलक मयस्सर बहार हो ।।

नजरें  गड़ाए  बैठे  हैं  कुछ  भेड़िये यहां ।
मुमकिन है आज अम्न का फिर से शिकार हो ।।

कुर्बानियां वो मांगते मजहब के नाम पर ।
इंशानियत न मुल्क से अब तो फरार हो ।।

तुझको बता दिया तो ज़रूरी नहीं है ये ।
मेरे गमों के दौर का अब इश्तिहार हो ।।

रखिये जरा ख़याल भी अपने वजूद का ।
जब भी जूनून आपके सर पर सवार हो ।।

बादल बरस के चल दिए अब देखिये हुजूऱ।
शायद गुलों के हुस्न में आया निखार हो ।।

गुज़री तमाम  उम्र  यहां रौशनी बगैर ।
अब तीरगी से जंग कोई आर पार हो ।।

           -- नवीन मणि त्रिपाठी
            मौलिक अप्रकाशित














Views: 706

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on August 31, 2018 at 11:19am

आ0 अजय तिवारी जी ग़ज़ल तक आने के लिए तहे दिल से शुक्रिया / आभार ।

Comment by Ajay Tiwari on August 31, 2018 at 6:59am

आदरणीय नवीन जी, बहुत अच्छे अशआर हुए हैं. आखिरी शेर ख़ास तौर पर अच्छा लगा. हार्दिक बधाई.  

Comment by Naveen Mani Tripathi on August 30, 2018 at 6:05pm

जनाब मिर्जा जावेद बेग साहब तहे दिल से शुक्रियः।

Comment by Naveen Mani Tripathi on August 30, 2018 at 6:03pm

आ0 कबीर सर सादर नमन के साथ आभार । आपकी मेहनत का असर ही है कि मेरी ग़ज़ल सही सलामत आपके सामने से गुज़र गयी । 

एक बार पुनः आभार के साथ नमन ।

Comment by mirza javed baig on August 30, 2018 at 12:56pm

अब तीरगी से जंग '''''''''''''''''''''''वाहहहवाहह

जनाब नवीन मणी त्रिपाठी जी आदाब   बहुत उम्दा ग़ज़ल के लिए दिली मुबारकबाद पैश करता हूं ।

क़बूल फ़रमाएं । आख़िरी शैर के लिए ख़ुसूसी मुबारकबाद ।

Comment by Samar kabeer on August 30, 2018 at 12:23pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

Comment by Samar kabeer on August 30, 2018 at 12:15pm

जनाब  नरेंद्र सिंह चौहान जी आदाब,पहले भी आपसे निवेदन कर चुका हूँ कि दो या तीन शब्दों में टिप्पणी देना ओबीओ की परिपाटी नहीं,ऐसा सोशल मीडिया पर ही ठीक है,इस मंच पर ऐसा करना उचित नहीं है,यहाँ रचनाकार को संबोधित करते हुए उसकी रचना की या तो तारीफ़ की जाती है या आलोचना,और ये सब सीखने सिखाने के उद्देश्य के लिए किया जाता है,आपसे एक बार फिर निवेदन है कि आप मंच की गरिमा का ध्यान रखेंगे और ऐसी दो या तीन शब्दों की टिप्पणी देने से परहेज़ करेंगे ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on August 29, 2018 at 11:17pm

आ0 नरेंद्र सिंह चौहान साहब शुक्रिया

Comment by Naveen Mani Tripathi on August 29, 2018 at 11:16pm

आ0 मुसाफ़िर साहब हार्दिक आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on August 29, 2018 at 11:16pm

आ0 रवि शुक्ला साहब तहे दिल से शुक्रिया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service