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कविता- हिन्दी है मेरी धड़कन


देश की धड़कन
वाणी का यौवन
संवाद का आँगन
हिंदी है मेरा तन-मन
अपनों से रखती है लगाव
भरती दिलों के घाव
मिटाती है अलगाव
हिंदी में है मेरा झुकाव
सबकी ज़रूरत
दिलों की हसरत
मिटाती नफ़रत
हिंदी है मेरी वकालत
शब्दों का हल
खुशियों का हर पल
सरस कलकल छलछल
हिंदी है मेरा आत्मबल
भारत की है शान
संपर्क की पहचान
सरगम की तान
हिंदी है मेरा स्वाभिमान
भेदभाव भी सहती है
मगर सच को सच कहती है
दिलों में रहती है
हिंदी मेरी हरदम खुश रहती है
तुझमें है चारों धाम
देती क़ुरआँ का पैग़ाम
नहीं लेती विराम
हिंदी है मेरा मुकाम
भाषाओं की बंदगी
शब्दों की ज़िंदगी
गीतों की है ताज़गी
हिंदी है मेरी आशिक़ी
जग में है मशहूर
निर्मल और बेक़सूर
नहीं है मग़रूर
हिंदी है मेरा सुरूर
'नीरज' का गीत
'रहमान'का संगीत
बदलाव की रीत
हिंदी से है मेरी प्रीत
भाषाओं में ख़ास
सुंदर अहसास
नहीं बनाती दास
हिंदी रहती मेरे दिल के पास
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

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Comment

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Comment by vijay nikore on September 27, 2018 at 11:35am

हिन्दी के प्रति इतनी सुन्दर रचना के लिए बधाई, भाई मोहम्मद आरिफ़ जी

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 18, 2018 at 8:58am

वाह वाह आदरणीय आरिफ जी..खूब हिंदी की महिमा का बखान किया है...

Comment by नाथ सोनांचली on September 14, 2018 at 6:57pm

आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन। हिंदी दिवस को समर्पित सार्थक रचना। बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर। सादर

Comment by Samar kabeer on September 14, 2018 at 2:47pm

जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,हिन्दी दिवस पर हिन्दी को समर्पित अच्छी कविता हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

हिंदी है मेरी हिमाकत'

इस पंक्ति में 'हिमाक़त' शब्द ग़लत ले लिया आपने,"हिमाक़त" का अर्थ है "मूर्खता" इसे बदलने का प्रयास करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on September 14, 2018 at 11:13am

हार्दिक बधाई आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ साहब जी। आदाब। हिंदी दिवस के पावन अवसर पर मातृ भाषा हिंदी को प्रोत्साहन देती सुंदर रचना।

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