For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"मेरे पास अभी कुछ भी नहीं है जमा करने के लिए सर, आप बताईये क्या करूँ", सामने बैठी लड़की ने बड़ी मायूसी से कहा और एक प्रार्थना पत्र मेज पर रख दिया. उसने प्रार्थना पत्र उठाया और पढ़ने लगा, नीचे लिखे नाम पर उसकी नजर अटक गयी "नाज़िया खान". अरे यह तो वही लड़की है जिसकी सब बहुत तारीफ़ करते थे कि इतनी गरीब होने के बाद भी हमेशा शिक्षा ऋण की किश्त जमा करती है.
"क्या हो गया नाज़िया, तुम तो हमेशा समय पर पैसे जमा करती थी. और तुम्हारा ऋण खाता भी तो रेगुलर है?, उसके मन में कारण जानने की जिज्ञासा होने लगी.
"सर पिछले महीने तक तो किसी तरह पैसे जमा किये, लेकिन अब नौकरी छोड़ दी, तीन महीने से तनख्वाह ही नहीं दे रहा था. पिताजी भी दो महीने से बिस्तर पकड़ लिए हैं तो उनका अंडे का ठेला भी बंद है. बस मैं ही हूँ जो कमाती हूँ और बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर घर खर्च चला रही हूँ", उसकी जबान और नज़रों में लाचारी टपक रही थी.
अब ऐसे लोगों के लिए उसके पास भी कोई रास्ता नहीं था, ऋण खाता रेगुलर है तो कोई रियायत भी नहीं दे सकता. कितनी विडंबना है कि रियायत भी बेईमानो को ही मिलती है, ईमानदारों के लिए कोई प्रावधान नहीं है, उसका मन खिन्न हो गया.
"देखो, तुम दूसरी नौकरी की तलाश करो और जब मिल जाए तो पैसे जमा करा देना. और अगर किसी व्यवसाय की योजना मन में हो तो बताना, हम मदद करेंगे. मैं नहीं चाहता कि तुम्हारा नाम बेईमानो में लिखा जाए, मैं भी देखता हूँ, कहीं कोई वैकेंसी होगी तो बताऊँगा".
नाज़िया ने सर हिलाया और उठकर जाने लगी. अब उसके चेहरे पर थोड़ी आस्वस्ति के भाव थे.
"अच्छा यह बताओ कि तुम चाहती तो पैसे नहीं भी जमा कर सकती थी, तुम्हारी कोई संपत्ति भी बंधक नहीं है हमारे पास. फिर तुम क्यूँ आयी बैंक में यह सब बताने", उसने अपना सवाल पूछ ही लिया जो उसे परेशान कर रहा था.
नाज़िया रुकी और उसने गंभीरता से जवाब दिया "सर, मेरे पिताजी बिलकुल पढ़े लिखे नहीं हैं और काफी धार्मिक भी हैं. वह हमें यही बताते हैं कि किसी का क़र्ज़ अपने ऊपर रहे, यह हराम है. मैं दूसरी नौकरी की तलाश करती हूँ सर, आपके सुझाव के लिए शुक्रिया".
नाज़िया चली गयी, उसने अपने ऋण प्रबंधक को बुलाया और तल्ख़ शब्दों में बोला "जितने बड़े डिफाल्टर हैं उन सबकी सम्पत्तियाँ तुरंत बेचने के लिए लगा दो, कोई रियायत नहीं देंगे इन कमीनों को".
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 866

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on September 20, 2018 at 4:26pm
Comment by नाथ सोनांचली on September 20, 2018 at 4:21pm

आद0 विनय कुमार जी सादर अभिवादन। एक सीख देती बेहतरीन लघुकथा पर आपको बधाई

Comment by विनय कुमार on September 20, 2018 at 11:38am
बहुत बहुत आभार लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, कम हैं लेकिन हैं ऐसे लोग
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 20, 2018 at 11:21am

काश ऐसे नेक मैनेजर और अधिकारी अपने अधिकारों का सही प्रयोग करें । पर व्यवहार में कम ही देखने को मिलता है । 

इस अच्छी कथा के लिए हार्दिक बधाई , आ. विनय कुमार जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
6 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
Friday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service