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मौत आंगन में आकर टहलती रही

212 212 212 212
जिंदगी रफ़्ता रफ़्ता पिघलती रही ।
आशिकी उम्र भर सिर्फ छलती रही ।।

देखते देखते हो गयी फिर सहर ।
बात ही बात में रात ढलती रही ।।

सुर्ख लब पर तबस्सुम तो आया मगर ।
कोई ख्वाहिश जुबाँ पर मचलती रही ।।

इक तरफ खाइयाँ इक तरफ थे कुएं ।
वो जवानी अदा से सँभलती रही ।।

जाम जब आँख से उसने छलका दिया ।
मैकशी बे अदब रात चलती रही ।।

देखकर अपनी महफ़िल में महबूब को।
पैरहन बेसबब वह बदलती रही ।।

यूँ ही ठुकरा गया हुस्न जब इश्क़ को ।
तिश्नगी उम्र भर हाथ मलती रही ।।

उस परिंदे की फितरत है उड़ना बहुत ।
बे वज्ह आपको बात खलती रही ।।

बच गए हम तो क़ातिल नज़र से सनम ।
मौत आंगन में आकर टहलती रही ।।

रेत मानिंद सहरा में वो हाथ की ।
मुट्ठियों से हमारी फिसलती रही ।।

दिल जलाने की साजिश लिए साथ में ।
वो हमारी गली से निकलती रही ।।

नवीन मणि त्रिपाठी
- मौलिक अप्रकाशित

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Comment by Samar kabeer on October 10, 2018 at 12:07pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

सुर्ख लब पर तबस्सुम तो आये मगर'

इस मिसरे में 'आये' को "आया" कर लें ।

' जाम जब आँख से उसने छलका दिया ।
मैकशी बे अदब रात चलती रही'

इस शैर में भाव स्पष्ट नहीं है,देखियेगा ।

' जब से ठुकरा दिया हुस्न ने इश्क़ को'

इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखें ।

' रेत मानिंद सहरा में ढूढा उसे ।
आरजू मुट्ठियों से फिसलती रही'

इस शैर के ऊला मिसरे का शिल्प कमज़ोर होने से सानी मिसरे से रब्त नहीं हो रहा,भाव भी स्पष्ट नहीं ।

' साजिशन तू गली से निकलती रही'

इस मिसरे में 'साजिशन' शब्द ग़लत है ।

Comment by Shyam Narain Verma on October 10, 2018 at 11:00am

आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी प्रणाम , सुंदर गजल के लिए हार्दिक बधाई   | सादर

Comment by V.M.''vrishty'' on October 10, 2018 at 10:07am
हुनर और ग़ज़ल दोनों काबिले-तारीफ
Comment by V.M.''vrishty'' on October 10, 2018 at 10:07am
बहुत बहुत बधाई
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 10, 2018 at 6:38am

आ. भाई नवी जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by TEJ VEER SINGH on October 9, 2018 at 8:57pm

हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी।बेहतरीन गज़ल।

उस परिंदे की फितरत है उड़ना बहुत ।
बे वज्ह आपको बात खलती रही ।।

बच गए हम तो क़ातिल नजर से सनम ।
मौत आंगन में आकर टहलती रही ।।

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