© बसंत कुमार शर्मा
मापनी - १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ १२२२
सदा देता, न लेता कुछ, बुरी नजरों से ताड़ो मत
शजर है घर परिंदों का, उसे तुम यूँ उजाड़ो मत
बड़ी उम्मीद होगी, मगर कुछ भी न पाओगे
सयानी है बहुत जनता, यूँ मंचों पर दहाड़ो मत
वहाँ पत्थर ही पत्थर थे, न मिट्टी थी न पानी था
उगा है अपने दम पर वो, पनपने दो उखाड़ो मत
कभी तन्हा अगर हों तो सुकूं देती बहुत हमको
ज़ेहन में पर्त यादों की जमी रहने दो’ झाड़ो मत
कमाकर खर्च कर लेना या’ फिर दान में दे दो
बड़े ही काम की दौलत जमीं में इसको’ गाड़ो मत
करो हासिल इसे मेहनत लगन ईमानदारी से
इधर से या उधर से तुम ये सिंहासन जुगाड़ो मत
लिखी है आँसुओं से ये कहानी है मुहब्बत की
नहीं कागज ये’ कोरा है पढ़ो तो इसको’ फाड़ो मत
"मौलिक एवं अप्रकाशित"
Comment
आदरणीय TEJ VEER SINGH जी सादर नमस्कार , आपकी हौसलाअफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया
आदरणीय Sheikh Shahzad Usmani जी सादर नमस्कार , आपकी हौसलाअफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया
हार्दिक बधाई आदरणीय बसंत कुमार जी। बेहतरीन गज़ल।
करो हासिल इसे मेहनत लगन ईमानदारी से
इधर से या उधर से तुम ये सिंहासन जुगाड़ो मत
हर शे'अर में अद्भुत हक़ीक़त बयानी, गहराई, सबक़, नसीहत व प्रेरणा लबरेज़ है। बेहतरीन सृजन हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय बसंत कुमार शर्मा साहिब।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online