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"आज फिर नींद नहीं आ रही है आपको, भूलने की कोशिश कीजिये उसे", रश्मि ने बेचैनी से करवट बदलते हुए राजन से कहा और उठकर बैठ गयी. कुछ देर तक तो वह अँधेरे में ही राजन का सर सहलाते रही, फिर उसने कमरे की बत्ती जला दी.
"लाइट बंद कर दो रश्मि, अँधेरे में फिर भी थोड़ा ठीक लगता है. उजाला तो अब बर्दास्त नहीं होता, काश उस दिन मैं नहीं रहा होता", राजन ने रश्मि की गोद में सर छुपा लिया.
धीरे धीरे रश्मि ने अब अपने आप को संभाल लिया था लेकिन अभी भी जब वह बाहर निकलती, उसे लगता जैसे लोगों की निगाहें उससे लगातार सवाल कर रही हैं. और उसे राजन की मनःस्थिति का भी भरपूर अंदाजा था.
"मेरी कोई गलती नहीं थी रश्मि, मोड़ पर अँधेरे के चलते मुझे दिखाई नहीं पड़ा और जबतक मुझे दिखा, लोग सामने थे", राजन ने एक बार फिर वही दुहराया जो वह पिछले एक हफ्ते से कहता आ रहा था.
"किसने कहा कि तुम्हारी गलती थी, सबने तो तुम्हें बेकसूर बता दिया है. अख़बारों में भी तुम्हारे बारे में कुछ गलत नहीं छपता अब तो", रश्मि ने उसे फिर से दिलासा देने की कोशिश की.
राजन ने करवट बदली और उसने रश्मि की तरफ देखते हुए गहरी सांस ली "लेकिन अपने आप को कैसे समझाऊँ रश्मि, उसमें कुछ बच्चे भी थे हमारे बच्चों के उम्र के".


मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by विनय कुमार on November 12, 2018 at 3:53pm

बहुत बहुत आभार आ नीता कसार जी इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए

Comment by Nita Kasar on October 29, 2018 at 7:11pm

उसमें कुछ बच्चे भी थे हमारे बच्चों की उम्र के ,लघुकथा का पूरा सार इन पंक्तियों में समाया है ।बधाई आद० विनय कुमार जी ।

Comment by विनय कुमार on October 29, 2018 at 1:14pm

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहब इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए

Comment by विनय कुमार on October 29, 2018 at 1:14pm

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम बृजेश कुमार 'ब्रज' साहब इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए

Comment by विनय कुमार on October 29, 2018 at 1:12pm

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' साहब इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए

Comment by विनय कुमार on October 29, 2018 at 1:12pm

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम तेज वीर सिंह साहब इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए

Comment by विनय कुमार on October 29, 2018 at 1:11pm

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम शेख शहज़ाद उस्मानी साहब इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए

Comment by विनय कुमार on October 29, 2018 at 1:11pm

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम समर कबीर साहब इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 27, 2018 at 9:21pm

आ. विनय जी, अच्छी कथा हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 27, 2018 at 8:02pm

हाल की घटनाओं पे अच्छी भावाव्यक्ति की है आदरणीय..

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