For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जर्जर तेरा महल हुआ है

बासी आबोदाना 
रूह का पाखी बोल रहा चल 
बदलें आज ठिकाना 

कोने कोने जाल मकड़िया
ढहने को तैयार दुकड़िया
ईंटें होती नंगी सारी
गारे की भी  तंगी भारी 
गाटर हुआ पुराना

पसरी आँगन बीच उदासी
जमी हुई हैं सभी निकासी
धूप हवा आती डर डर कर 
धीमे धीमे ठहर ठहर कर 
संकरा हुआ मुहाना

बंद सुराही जल पीने की
टूटी सब पैड़ी जीने की 
खम्बे बम्बे झूल रहे हैं 
बोझ उठाना भूल रहे हैं 
अब घर नया बसाना 

धुँधले सारे चाँद सितारे 
टूटी लय टूटे सुर सारे 
पूर्ण हुआ जीवन सँगीत रे 
दिल की खिड़की खोल 
मीत रे
मुझे अभी है जाना 


रूह का पाखी बोल रहा चल 
बदलें आज ठिकाना

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 911

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2018 at 10:39pm

आद० बृज जी आपका बहुत बहुत आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2018 at 10:38pm

आद० रामबली गुप्ता जी नवगीत आपको पसंद आया दिल से बहुत बहुत आभारी हूँ .आपने सही सोचा रूह शब्द में गायन के हिसाब से भी ह की मात्रा गिरकर ही गाया जाता है इसी के अंतर्गत ये छूट ली है मकड़िया दुकडिया थर्ड दर्जे की तुकांतता हो सकती है किन्तु यहाँ गीत की डिमांड के अनुसार रखनी पड़ी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2018 at 10:33pm

आद० अजय तिवारी जी आपका दिल से बहुत बहुत आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2018 at 10:32pm

आद० मोहम्मद आरिफ जी आपको नवगीत पसंद आया आपने इसे गाकर भी देखा मेरा गीत सच में धन्य हो गया .आपका दिल से बहुत बहुत आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2018 at 10:31pm

आद० समर भाई जी आपको ये नवगीत पसंद आया दिल से बहुत बहुत आभार आपका .

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 26, 2018 at 8:07pm

वाह आदरणीया बहुत ही सुन्दर गीत हुआ..बधाई

Comment by रामबली गुप्ता on October 26, 2018 at 5:10pm

सुंदर नवगीत के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय बहना राजेश कुमारी जी।

मुखड़े के द्वितीय पड़ में 'रूह का पाखी' में लय बनाने के लिए मात्रापतन लिया गया है। शायद नवगीत में मात्रापतन की छूट होती है। मकड़िया और दुकड़िया में तुकांतता ठीक तो है न?

Comment by Ajay Tiwari on October 26, 2018 at 5:02pm

आदरणीया राजेश जी, एक और खूबसूरत गीत-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई.

Comment by Mohammed Arif on October 26, 2018 at 11:11am

आदरणीया राजेश कुमारी जी आदाब,

                               नए-नए बिम्बों और प्रतीकों से सुसज्जित लाजवाब नवगीत की सौगात के लिए लख-लख बधाइयाँ । इस गीत को मैं कई बार गुनगुना चुका हूँ ।

Comment by Samar kabeer on October 25, 2018 at 3:47pm

बहना राजेश कुमारी जी आदाब,बहुत उम्दा नवगीत हुआ है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
19 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
19 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
yesterday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Jul 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Jul 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service