मापनी २१२२ २१२२ २१२२ २१२
द्वार पर जो दिख रही सारी सजावट आप से है
आज अधरों पर हमारे मुस्कुराहट आप से है
आपकी आमद से मौसम हो गया कितना सुहाना
जो हुई महसूस गरमी में तरावट आप से है
यूँ तो मेरी जिन्दगी में गम के’ सन्नाटे बहुत हैं
जो सुनाई दे रही खुशियों की’ आहट आप से है
जो हृदय पाषाण था वो हो गया है पुष्प कोमल
रेशमी अहसास की इसमें बुनावट आप से है
गीत, दोहे, छंद, मुक्तक या ग़ज़ल का नाम दे दो
काव्य के हर शिल्प में जो है कसावट आप से है
"मौलिक एवं अप्रकाशित"
Comment
गीत, दोहे, छंद, मुक्तक या ग़ज़ल का नाम दे दो
काव्य के हर शिल्प में जो है कसावट आप से है
वाह, आदरणीय बसंत कुमार जी, सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए दाद के साथ मुबारकबाद. सादर.
आदरणीय Rahul Dangi जी , शुभ प्रभातम , हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया आपका
बहुत खूब बधाई स्वीकारें
आदरणीय y लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी शुभ संध्या, आपकी हौसलाअफजाई का दिल से शुक्रिया
आदरणीय Samar kabeer जी आदाब, आपकी हौसलाअफजाई का दिल से शुक्रिया
आदरणीय TEJ VEER SINGH जी सादर नमस्कार , आपकी हौसलाअफजाई का दिल से शुक्रिया
आ. भाई बसंत जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।
जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।
हार्दिक बधाई आदरणीय बसंत कुमार जी। बेहतरीन गज़ल।
यूँ तो मेरी जिन्दगी में गम के’ सन्नाटे बहुत हैं
जो सुनाई दे रही खुशियों की’ आहट आप से है
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