For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रंगहीन ख़ुतूत ...

तन्हाई
रात की दहलीज़ पर
देर तक रुकी रही
चाँद
दस्तक देता रहा
मन
उलझा रहा
किसका दामन थामूँ
अर्श के माहताब का
पलकों के ख्वाब का
या ज़ह्न के सैलाब का
सवाल
गर्म लावे से
उबलते रहे
जवाब
तन्हाई में
सुबकते रहे
मैं ज़ीना-ज़ीना
ज़ह्न के सन्नाटों में
उतरती रही
अपनी ही साये में
बिखरती रही
बस रहे गए हाथ में
अर्थहीन अलफ़ाज़ के
रंगहीन ख़ुतूत के

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 596

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 17, 2018 at 6:11pm

आदरणीय समर कबीर साहिब आदाब , प्रस्तुति को आत्मीय मान देने एवं सुधारात्मक सुझाव देने का दिल से शुक्रिया। मैं अभी एडिट करता हूँ सर। शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on December 17, 2018 at 6:07pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on December 17, 2018 at 6:06pm

आदरणीय  narendrasinh chauhanजी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on December 17, 2018 at 6:06pm

आदरणीय फूल सिंह जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 12, 2018 at 8:02pm

आ. भाई सुशील जी, सुंदर कविता हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on December 11, 2018 at 10:17pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी कविता हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

'  मैं जीना जीना'--"ज़ीना ज़ीना" !

'लफ़्ज़ों से लबरेज़'

'लफ़्ज़' शब्द का बहुवचन "अल्फ़ाज़" है,देखियेगा । 

Comment by narendrasinh chauhan on December 11, 2018 at 3:19pm

लाजवाब , खूब सुन्दर रचना सर 

Comment by PHOOL SINGH on December 11, 2018 at 2:13pm

क्या बात है सर जी बहुत सूंदर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service