रंगहीन ख़ुतूत ...
तन्हाई
रात की दहलीज़ पर
देर तक रुकी रही
चाँद
दस्तक देता रहा
मन
उलझा रहा
किसका दामन थामूँ
अर्श के माहताब का
पलकों के ख्वाब का
या ज़ह्न के सैलाब का
सवाल
गर्म लावे से
उबलते रहे
जवाब
तन्हाई में
सुबकते रहे
मैं ज़ीना-ज़ीना
ज़ह्न के सन्नाटों में
उतरती रही
अपनी ही साये में
बिखरती रही
बस रहे गए हाथ में
अर्थहीन अलफ़ाज़ के
रंगहीन ख़ुतूत के
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय समर कबीर साहिब आदाब , प्रस्तुति को आत्मीय मान देने एवं सुधारात्मक सुझाव देने का दिल से शुक्रिया। मैं अभी एडिट करता हूँ सर। शुक्रिया।
आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार।
आदरणीय narendrasinh chauhanजी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार।
आदरणीय फूल सिंह जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार।
आ. भाई सुशील जी, सुंदर कविता हुयी है । हार्दिक बधाई ।
जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी कविता हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
' मैं जीना जीना'--"ज़ीना ज़ीना" !
'लफ़्ज़ों से लबरेज़'
'लफ़्ज़' शब्द का बहुवचन "अल्फ़ाज़" है,देखियेगा ।
लाजवाब , खूब सुन्दर रचना सर
क्या बात है सर जी बहुत सूंदर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online