For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मौज ख़ुद आपको साहिल पे लगाने से रही (४१)


मौज ख़ुद आपको साहिल पे लगाने से रही 
और क़ुदरत भी कोई जादू दिखाने से रही 
***
हौसला आपका दे साथ करम हो रब का 
फिर किसी सिम्त बला कोई सताने से रही 
***
हो सके जितना हक़ीक़त ये समझ लो सारे 
मौत मर्ज़ी से कभी आपकी आने से रही 
***
इम्तिहाँ रोज़ ही देने हैं यहाँ जीने को 
रोने धोने से तरस ज़िंदगी खाने से रही 
***
हो अगर कोई तसव्वुर में तभी ख़्वाब सजे 
कोई मूरत तो कभी ख़्वाब सजाने से रही 
***
होशियारी भी ज़रूरी है सदा जीवन में 
गर पड़ी कोई भी खू जल्द वो जाने से रही 
***
हर ख़ुशी क़ीमती है ज़श्न मना लो वरना
लौट कर कोई ख़ुशी फिर से तो आने से रही 
***
जीत सकते हैं हर इक दिल को मुहब्बत से सदा 
यार नफ़रत तो किसी घर को बसाने से रही 
***
क्या करेगा वो तरक्की जहाँ में शख़्स 'तुरंत' 
सिर्फ जिसको है शिकायत ही ज़माने से रही 
***
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 461

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 5, 2019 at 12:37am

आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज'  साहेब 

खाकसार का कलाम पसन्द करने और हौसला आफजाई का बेहद शुक्रिया 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 4, 2019 at 11:22am

बढ़िया ग़ज़ल कही है आदरणीय..बधाई

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 3, 2019 at 1:13pm

आदरणीय Samar kabeer साहेब | 

तह-ए-दिल  से  शुक्रिया  क़बूल  करें  . ज़र्रा -नवाज़ी  है  आपकी  |

Comment by Samar kabeer on April 3, 2019 at 12:03pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service