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नवगीत-वेदना तुझको बुलाऊँ-बृजेश कुमार 'ब्रज'

छा रहा नभ में अँधेरा

जुगनुओं  ने सूर्य घेरा
नेह भावों से  निचोड़ूँ  दीप  मैं घर घर  जलाऊँ
वेदना तुझको बुलाऊँ

रो दिए वीरान पनघट
टूट के बिखरे हुए घट
हैं बहुत मुश्किल समय के ये थपेड़े सह न पाऊँ 
वेदना तुझको बुलाऊँ

अश्रुओं से सिक्त वीणा
न कहूँ अंतस की पीड़ा 
रिक्त भावों से पड़े तो किस तरह ये गीत गाऊँ
वेदना तुझको बुलाऊँ

(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

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Comment

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Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 16, 2019 at 12:11pm

बहुत बहुत शुक्रिया मित्र..आमोद

Comment by amod shrivastav (bindouri) on April 17, 2019 at 11:15pm

वाहः बहुत सुंदर प्रस्तुति  आदरणीय

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 17, 2019 at 10:38pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी..सादर

Comment by TEJ VEER SINGH on April 10, 2019 at 6:27pm

हार्दिक बधाई आदरणीय  बृजेश कुमार 'ब्रज' जी।बहुत सुंदर नवगीत।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 9, 2019 at 9:20am

स्वागत संग आभार आदरणीय सलीम जी...

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 9, 2019 at 9:19am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय समर कबीर जी..सादर

Comment by SALIM RAZA REWA on April 8, 2019 at 4:42pm

बृजेश कुमार 'ब्रज' जी अच्छा नवगीत लिखा आपने,बधाई स्वीकार करें 

Comment by Samar kabeer on April 8, 2019 at 11:58am

जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब,अच्छा नवगीत लिखा आपने,बधाई स्वीकार करें ।

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