For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-लालफीताशाही-बृजेश कुमार 'ब्रज'

मंच को प्रणाम करते हुए ग़ज़ल की कोशिश

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फाइलुन

लालफीताशाही कितनी मिन्नतों को खा गई
ये व्यवस्था  ढेर  सारे  मरहलों  को खा गई

ये  कहा था  साहिबों  ने घर नये  देंगे  बना
साब की दरियादिली भी झोपड़ों को खा गई

अब तरक़्क़ी की बयारें इस क़दर काबिज़ हुईं
पेड़ तो काटे  जड़ों से कोपलों  को खा गई

कुछ गवाही दे रही है मयक़दे की रहगुज़र
मयकशी हँसते हुये कितने घरों को खा गई

भूख  से बेहाल थे  वो  कुछ नहीं सूझा  उन्हें
पेट की 'ब्रज' आग पहले हौसलों को खा गई

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 687

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 4, 2019 at 9:22pm

ग़ज़ल पसंदगी के लिए आभार आदरणीय विजय जी..

Comment by vijay nikore on October 1, 2019 at 3:33pm

अच्छी गज़ल कही है। हार्दिक बधाई, मित्र बृजेश जी।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 28, 2019 at 6:14pm

आदरणीय दण्डपाणि जी ग़ज़ल पे आपकी उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार..

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 24, 2019 at 11:18am

देर के लिए माफ़ी चाहता हूँ आदरणीय समर जी दरअसल हमारे यहाँ नेट की स्थिति आजकल काफी दयनीय है।ग़ज़ल पे आपकी अमूल्य राय के लिए शुक्रिया...आपकी सलहनुसार बदलाव किया जा सकता है लेकिन क्या 'साब' शब्द से दिक्कत है?या कुछ और ही कारण है?सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 24, 2019 at 11:13am

ग़ज़ल पे आपकी उपस्थित के लिए आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी..

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 24, 2019 at 11:12am

हार्दिक आभार सतविंद्र जी

Comment by Samar kabeer on September 23, 2019 at 2:31pm

जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'साब की दरियादिली भी झोपड़ों को खा गई'

इस मिसरे को यूँ कहना उचित होगा:-

'उनकी ये दरियादिली सब झोपड़ों को खा गई'

Comment by TEJ VEER SINGH on September 20, 2019 at 7:56pm

हार्दिक बधाई आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी। बेहतरीन गज़ल।

ये  कहा था  साहिबों  ने घर नये  देंगे  बना
साब की दरियादिली भी झोपड़ों को खा गई

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 20, 2019 at 1:59pm

उत्तम अति उत्तम!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब, काफ़ी समय बाद मंच पर आपकी ग़ज़ल पढ़कर अच्छा लगा । ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,…"
24 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बच्चों का ये जोश, सँभालो हे बजरंगी भीत चढ़े सब साथ, बात माने ना संगी तोड़ रहे सब आम, पहन कपड़े…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ++++++   आँगन में है पेड़, मौसमी आम फले…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
yesterday
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service