करे वोट से चोट जो हैं लुटेरे, खरे मानकों पे चुनें आप नेता
खड़ा सामने भ्रात हो या भतीजा, भले जो लगे आपको वो चहेता
नहीं वोट देना उसे ज़िन्दगी में, कभी आपको जो नहीं मान देता
सदा जो करे पूर्ण निःस्वार्थ सेवा, उसे ही यहाँ पे बनाएँ विजेता।1।
कहीं जाति की है लड़ाई बड़ी तो, कहीं सिर्फ है धर्म का बोलबाला
इसे मुल्क में भूल जाएं सभी तो, चुनावी लड़ाई बने यज्ञशाला
अकर्मी विधर्मी तथा भ्रष्ट जो है, वही देश का है निकाले दिवाला
चुनें वोट दे के उसी आदमी को, दिखे जो प्रतापी प्रभावी निराला।2।
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आ. भाई सुरेंद्र जी, सुंदर छंद हुए हैं । हार्दिक बधाई ।
आद0 बासुदेव अग्रवाल नमन जी सादर अभिवादन। आपकी रचना पर उपस्थिति और बधाई का हृदय तल से आभार
आ0 सुरेंद्र नाथ जी महाभुजंगप्रयात में बहुत सुंदर सामयिक सृजन। बधाई।
आद0 हरिओम श्रीवास्तव जी सादर अभिवादन। आपकी आत्मीय प्रशंशा भरे प्रतिक्रिया से रचना को अनुमोदन मिला, सादर आभार।
वाह,वाहहह,क्या कहने! मतदाता को जागरूक करते दोनों ही भुजंगप्रयात छद शानदार व सार्थक सृजित हुए हैं। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेन्द्रनाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी।
आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवादन। रचना पर आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया का हृदय तल से आभार
हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी।बेहतरीन रचना।
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