सदानीरा बहे कल - कल , गगन पर चाँद तारे हैं ।
अलौकिक दृश्य वसुधा पर ,सुभग मनहर नजारे हैं ।।
उजालों ने चुगा शशि है , उषा आयी उगा रवि है ।
मही पर पुष्प शुचि कुसुमित,उड़े नभ पर विहग प्रमुदित ।।
झरे सित पुष्प शिउली के ,हवाओं ने बुहारे हैं ।
अलौकिक दृश्य वसुधा पर , सुभग मनहर नजारे हैं ।।
लली वृषभानु की राधा , ढके मुख घूँघटा आधा ।
चली पनघट लिये गागर ,खड़े हैं गैल नटनागर ।।
हुयीं लखि लाज से दुहरी , मदन करते इशारे हैं ।
अलौकिक दृश्य वसुधा पर , सुभग मनहर नजारे हैं ।।
प्रफ़ुल्लित सृष्टि लखि सारी , बँधे परिरंभ अभिसारी ।
मनोहर दृश्य वृन्दावन , प्रणय के गीत मृदु पावन ।।
रचायें रास बनवारी , भुरारे ही भुरारे हैं ।
अलौकिक दृश्य वसुधा पर , सुभग मनहर नजारे हैं ।।
अनामिका सिंह ' अना '
१७~०५~२०१९
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी , सृजन को आपकी सराहना से संबल मिला..हार्दिक आभार आपका ।
आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी , सृजन की सराहना हेतु अतिशय आभार आपका ।
आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी , प्रस्तुत गीत की सराहना हेतु हार्दिक आभार आपका ।
आ. अनामिका जी, इस बेहतरीन गीत के लिए हार्दिक बधाई।
मुहतरमा अनामिका साहिबा, सुंदर गीत हुआ है मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
आद0 अनामिका सिंह जी सादर अभिवादन। बढ़िया लय युक्त गीत प्रस्तुत किये आपने। बधाई स्वीकार कीजिये इस प्रस्तुति पर
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