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अभिव्यक्ति का संत्रास ...

अभिव्यक्ति का संत्रास ...

वरण किया
आँखों ने
यादों का ताज
पूनम की रात में

होती रही स्रावित
यादें
नैन तटों से
अविरल
तन्हा बरसात में

वीचियों पर
यादों की
तैरती रही
परछाईयाँ
देर तक
तन्हा अवसाद में

कर न सके व्यक्त
अधरों से
अन्तस् के
सिसकते जज्बातों की
अव्यक्त अभिव्यक्ति का संत्रास
शाब्दिक अनुवाद में

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Sushil Sarna on August 14, 2019 at 8:05pm

आदरणीय  C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार। 

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on August 14, 2019 at 10:34am

Sushil Sarna जी,
सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें | 

Comment by Sushil Sarna on August 12, 2019 at 1:13pm

आदरणीय  TEJ VEER SINGH जी सृजन पर आपकी मन मुदित करती प्रशंसा का दिल से आभार। 

Comment by TEJ VEER SINGH on August 10, 2019 at 6:20pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी।लाज़वाब प्रस्तुति।

Comment by Sushil Sarna on August 8, 2019 at 7:47pm

आदरणीय Samar kabeer  जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on August 8, 2019 at 7:47pm

आदo Pratibha Pandey जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on August 8, 2019 at 7:46pm

आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया का दिल से आभार। 

Comment by Samar kabeer on August 8, 2019 at 3:50pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Pratibha Pandey on August 8, 2019 at 10:49am
आदरणीय "सुशिल सरना " जी अति सुन्दर , बधाई स्वीकार करें
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 7, 2019 at 4:52pm

आ. भाई सुशील जी, अच्छी रचना हुई है हार्दिक बधाई।

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