दादाजी का वोट - लघुकथा -
विवेक विलायत से इंजीनियरिंग की उच्च शिक्षा गोल्ड मैडल सहित पास करके लौटा था। उसके पास कई विदेशी और भारतीय कम्पनियों के ऑफर थे।
आज परिवार के सभी सदस्य इसी मुद्दे पर अंतिम फैसला करने के लिये बड़े हॉल में एकत्रित हुए थे। सभी की रॉय भिन्न भिन्न थी। लंबी बहस चली लेकिन कोई अंतिम हल नहीं निकला।
तब दादाजी ने सुझाव दिया कि सब अपनी अपनी सलाह लिख कर पर्ची डालें। सभी पर्चियों को खोल कर बहुमत से फैसला होगा।वह सबको मान्य होगा।सभी इससे सहमत हो गये।
सभी की पर्चियाँ एकत्र कर ली गयीं।
पहली पर्ची पिता जी की निकली। उनकी हार्दिक इच्छा थी कि विवेक अमेरिका वाली नौकरी करे ताकि उनको भी अमेरिका घूमने का अवसर मिले।
दूसरी पर्ची माँ की खुली। उनकी चाह थी कि विवेक कलकत्ते की जॉब करे जिससे वे भी उसके साथ बनी रहें और अपने मायके भी जाती रहें जो कि कलकत्ते में ही था।
अगली पर्ची दादी जी की थी।वह चाहती थी कि विवेक दिल्ली में ही नौकरी करे जिससे कि वह जल्दी जल्दी अपने पुश्तैनी निवास पर आता रहे जो कि दिल्ली से बहुत नज़दीक था।
अब केवल दो पर्ची शेष थीं।एक विवेक की और दूसरी दादाजी की।
अगली पर्ची विवेक की खुली।उसकी सोच थी कि वह अपनी खानदानी ज़मीन ज़ायदाद और बागवानी को नये वैज्ञानिक तरीकों से कराये तथा उसी की देखभाल करे।साथ ही अपने माँ बाप और दादा जी और दादी जी की सेवा भी करे।
अभी तक खुली चारों पर्चियाँ अलग अलग सोच की थीं।बहुमत का मुद्दा नदारद था।अब सारा दारोमदार अंतिम पर्ची पर निर्भर था जो कि दादाजी की थी। अगर दादा जी की रॉय किसी से मेल खागयी तो निर्णय हो जायेगा अन्यथा वही ढाक के तीन पात।
सभी दम साधे बैठे दादाजी की पर्ची को आशा भरी नज़रों से देख रहे थे।आखिरकार अंतिम पर्ची खुली। असमंजस समाप्त। दादाजी की पर्ची में एक पद्यांश लिखा था,
"उत्तम खेती, मध्यम बान, निषिध चाकरी भीख निदान।"
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
हार्दिक आभार आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी।
वाह बेहतरीन सीख प्रदान करती हुई लघु कथा...वाह आदरणीय
हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे जी।
हार्दिक आभार आदरणीय सुशील सरना जी।
बहुत ही अच्छी लघु कथा के लिए बधाई, मित्र तेजवीर सिंह जी।
आदरणीय तेजवीर सिंह जी बहुत ही गहन भावों की अभियक्ति करती लघु कथा का सृजन हुआ है। हार्दिक बधाई सर।
हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब जी।आदाब।
हार्दिक आभार आदरणीय सलीम रज़ा रीवा साहब जी।
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय तेजवीर साहब बहुत अच्छी लघुकथा हुई है बधाई स्वाविकारें
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