For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्षणिकाएं: विछोह

1. ये यादों का अकूत कारवां है,

   नित बेहिसाब चला पर वही खड़ाI

2. तेरी हाथों की लकीरों का दोष,

   या मेरी दुआओ का,

   अकाट्य प्रवाह पहेली सा I

3. कभी शब्द भी मौन हुए,

   कभी मौन मुस्काए है I

   कभी अभिव्यक्तियों को पंख लगे,

   कभी सन्नाटों के साये है I

4. बातो का सिलसिला टूटा नहीं तेरे जाने से,

    बस फर्क इतना है तेरा किरदार भी निभाती हूँ मै I 

5. यूँ तो जी भर जिया हमने जिन्दगी को साथ साथ,

    पर नासूर बन गई वो आधी अधूरी मुलाकात I

६. ना लय छंद के नियम मै जानूँ, ना शब्दों के भण्डार हैं,

  बस असीम पीड़ा तेरे विछोह की, और यादों के अकूत अम्बार हैं I

   "मौलिक व अप्रकाशित"

     (डा० गीता चौधरी)

Views: 698

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on November 2, 2019 at 6:41am

आदरणीय शेख़ शहजाद उस्मानी जी सादर प्रणाम! क्षणिकाओं की सराहना के हार्दिक आभार, और मार्गदर्शन के लिए विशेष रूप से धन्यवादI मै सुझावों को ध्यान में रखूंगीI 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 31, 2019 at 6:46pm

आदाब। बहुत बढ़िया क्षणिकाओं के लिए बहुत-बहुत बधाई आदरणीया डॉ. गीता चौधरी साहिबा। रचनाएं 1-2-3 मुझे बहुत पसंद आईं। कुछ टंकण त्रुटियों को एडिट कर लीजिएगा। अंत में अपना नाम लिखने की आवश्यकता नहीं है नियमानुसार।

Comment by Samar kabeer on October 29, 2019 at 1:57pm

It's OK ,Try your best one day will get success

And kindly use only hindi language because English is prohibited at  OBO

My wishes is always with you.

Comment by Usha on October 29, 2019 at 12:31pm

आदरणीय डॉ गीता चौधरी जी, खूबसूरत क्षणिकाओं के लिए बधाई स्वीकार करें।

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on October 28, 2019 at 6:08pm

Sorry Samar kabeer ji. Again I very happy to that you observed so keenly what I wrote.

Thanks it's my Great pleasure.. sir actually I m not a person of literature but want to express what I felt.. 

Comment by Samar kabeer on October 28, 2019 at 5:00pm

जी, समीर कबीर नहीं 'समर कबीर' 

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on October 28, 2019 at 4:24pm

बधाई के लिए बहुत शुक्रिया।

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on October 28, 2019 at 4:23pm

आदरणीय समीर कबीर जी नमस्कार, बधाई के लिए बहुत बधाई विशेष रूप से संशोधन के लिए। मै इस बात पर ध्यान दूंगी।

Comment by Samar kabeer on October 28, 2019 at 3:38pm

मुहतरमा डॉ. गीता चौधरी जी आदाब, अच्छी क्षणिकाएँ लिखीं आपने,बधाई स्वीकार करें ।

कुछ शब्दों में टंकण त्रुटियाँ देख लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service