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आदरणीय लक्ष्मण धामी जी कविता की सराहना के लिए हार्दिक आभार।
आ. गीता जी, अच्छी प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई ।
आदरणीय समर कबीर जी रचना पर आपके आत्मीय और पारखी अवलोकन एवं मार्गदर्शन का इंतजार रहता है जो बहुत कुछ सिखाता हैI
सर मार्गदर्शन एवं बधाई के लिए सादर आभार..
मुहतरमा डॉ. गीता चौधरी जी आदाब, कविता का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करे ।
'वो बिखरते सिमटते जज्बातों की बात'
आपकी जानकारी के लिए बता रहा हूँ कि 'जज़्बा' का बहुवचन "जज़्बात" होता है,जज़्बातों नहीं ।
आदरणीय डॉo उषा जी कविता की सराहना के लिए हार्दिक आभार। कुछ खास है प्रशंसा में कहे गए आत्मीय शब्दों की बात।
आदरणीय डॉ गीता चौधरी जी, सही कहा आपने। हर बात की है कोई ख़ास बात। इन्ही बातों में है ज़िन्दगी के होने का अहसास। सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई स्वीकार करें। सादर।
आदरणीय डाo विजय शंकर जी सादर प्रणाम, आपकी सराहना एवं उत्साह वर्धन हमेशा कुछ अच्छा लिखने की प्रेरणा देता रहेगाI हार्दिक आभार I
आदरणीय डॉO गीता चौधरी जी , कुछ बातों का सिलसिला ऐसा ही होता है , अच्छी प्रस्तुति , बधाई , सादर।
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