For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिताय और सुखाय (संस्मरण)

Views: 535

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on December 4, 2019 at 5:54pm

आपके संस्मरण पढ़ कर अच्छा लगा आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 29, 2019 at 7:04am

आदाब। हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब सलीम रज़ा 'रेवा' साहिब।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 29, 2019 at 7:03am

आदाब। मेरी इस ब्लॉग पोस्ट पर समय देकर अनुमोदन और मेरी स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब समर कबीर साहिब , जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' साहिब और मुहतरमा ऊषा साहिबा। आ. ऊषा जी आपकी विस्तृत टिप्पणी से और भाषा प्रेम से बहुत प्रभावित हुआ हूँ। सादर धन्यवाद।

Comment by नाथ सोनांचली on November 28, 2019 at 8:46pm

आद0 शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन। बढ़िया सारगर्भित संस्मरण। पढ़कर मजा आ गया। बहुत बहुत बधाई ऐसे लेखन के लिए। सादर

Comment by Samar kabeer on November 28, 2019 at 10:33am

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,सुंदर संस्मरण,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Usha on November 27, 2019 at 8:54am

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी सर, आपका संस्मरण पढ़ा। बहुत अच्छा लगा। मैं भी अंग्रेज़ी साहित्य की छात्रा व् प्राध्यापिका हूँ किन्तु प्रयासरत हूँ कि हिन्दी भाषा पर भी अपनी पकड़ बना सकूँ। आपकी उपलब्धियां जानकार प्रोत्साहित हुई हूँ। छात्रों का स्नेह और आदर का भाव जो सुख देता है वह सभी सुखों में सर्वोपरि होता है। बधाई आपको कि आप इन सबको ख़ुबसूरती से जी रहे हैं। आपका धर्म इत्यादि के फ़र्क़ को भी नगण्य कर देना काबिले तारीफ़ है। अनेकानेक बधाईयाँ। आप यूहीं प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी रह सबका स्नेह व् आदर सम्मान पाते रहे, ऐसी ईश्वर से कामना रहेगी। सादर।

Comment by SALIM RAZA REWA on November 26, 2019 at 8:41pm

जनाब उस्मानी साहब ख़ूबसूरत सुख़न के लिए मुबारकबाद।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
20 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Jul 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service