For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ज़िन्दगी सपेरे की रहस्यमयी पिटारी हो मानो

नागिन-सी सोच की भटकती हुई गलियों में

हर रिश्ते की कमल-पंखुरी मुरझा कर

सूखकर भी झड़ जाने से पहले लिख जाती है

विचार-भाव में कोई लम्बी भीषण कहानी

अद्भुत है सृष्टि हर रिश्ते की

कभी किसी आकाशीय स्नेह से द्रवित

कभी परिवर्तित हृदय-संबंध से आतंकित

तारिकायों के संग नृत्य में प्र्फुल्लित

या कभी शून्य की सियाह सुरंग से उद्विग्न

पल भर में कहाँ से कहाँ घूम आता है मन

बरसाती रातों में हवा की सांयँ-सांयँ

भरमाया, कुछ घबराया मन मेरा

विचार-मग्न मैं बैठा सोच रहा

कौन है, कोई तो है जो बता आता है पतंगों को

मौसम नहीं है आज आने का, तुम न आना

तुम, न आना ...

अब आयु की भीगी संध्याओं में

स्मृतियों के कुहरे में दबा पराजित-सा

ग़मग़ीन है आज, बहुत उदास है मन

छूट रही है धमनीयों में भी शायद

रफ़तार की खून से पहचान ...

तुम ... न आना

         ---------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 960

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on December 30, 2019 at 6:21am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार,आदरणीय मित्र, लक्ष्मण जी

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 26, 2019 at 5:43pm

आ. भाई विजय जी, सादर अभिवादन। बहुत सुन्दर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by vijay nikore on December 26, 2019 at 2:01pm

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार,आदरणीया मित्र डा० गीता जी।

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on December 26, 2019 at 1:49pm

आदरणीय विजय निकोर जी उम्दा रचना के लिए बहुत बधाईI भावों को खुबसूरत शब्द शिल्पकारी से सजाया आपनेI

Comment by vijay nikore on December 25, 2019 at 6:44am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार,आदरणीय मित्र सुशील जी।

Comment by Sushil Sarna on December 24, 2019 at 6:45pm

वाह आदरणीय विजय निकोर जी बहुत ही खूबसूरत सृजन हुआ है। अंतर्मन के अंतद्वंद को आपकी कलम ने बहुत ही खूबसूरत अंजाम दिया है। इस बेहतरीन सृजन के लिए दिल से बधाई स्वीकार करें।

Comment by vijay nikore on December 15, 2019 at 7:41pm

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय भाई समर कबीर जी।

Comment by Samar kabeer on December 13, 2019 at 3:04pm

प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,बहुत उम्द: रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by vijay nikore on December 4, 2019 at 6:00am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय मित्र सुरेन्द्र जी।

Comment by नाथ सोनांचली on December 3, 2019 at 7:31pm

आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवादन। बेहतरीन रचना पर बधाई स्वीकार कीजिये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service