अच्छा लगा तेरा प्रेम से मिलना
कुछ अपनी कही, कुछ मेरे सुनना
स्वार्थ से भरी इस दुनियाँ में
सभी के हित की बातें करना ||
वक़्त के संग में तेरा बदलना
हसमुखता को धारण करना
उड़ान भर खुली हवा में
सुंदर, ख्वाबो की माला बनुना ||
हौंसलों भर अपने उर में
भूल के बीती बात को आगे बढ़ना
याद आ जाए कोई भुला-बिसरा
झट से उसका हाल जानना ||
काम, क्रोध और अभिमान को
त्याग जीवन से
शांत चित्त से आगे बढ़ना
भूल के सारे मतभेद को अपने
एक दूजे से खुल कर मिलना ||
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद
आद0 फूल सिंह जी सादर अभिवादन, अच्छी रचना लिखी आपने,, बधाई स्वीकार कीजिये। सादर
जनाब फूल सिंह जी आदाब,अच्छी रचना है,बधाई स्वीकार करें ।
टंकण त्रुटियों की तरफ़ ध्यान दें ।
आ. भाई फूलसिंह जी, अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।
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