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क्षणिकायें - 7 --- डॉo विजय शंकर

1. फूल जानता है
कितनी है जिंदगी ,
फिर भी खिलता है ,
तो मुस्कुराता है ,
हँसता है ,
खुशियाँ बिखेरता है।

2. पेड़ कहीं जाते नहीं
फल पक जाएँ तो
रुक पाते नहीं ..........

3. क्या फितरत है
तुम्हारी
हमें छोड़ गए और
अपना
न जाने क्या क्या
हमारे पास छोड़ गए ……

4. सादगी भी
अजीब चीज़ है
कितने रंगीन
सपने दिखा देती है ………

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Dr. Vijai Shanker on October 3, 2015 at 8:23pm
आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी , आपको क्षणिकाएँ अच्छी लगी , जान कर प्रसन्नता हुयी। आभार। आपकी इनमें रूचि है , यह जान कर और अधिक प्रसन्नता हुयी।इन्हें समझना बहुत आसान है , बस इसी मंच पर प्रकाशित कुछ क्षणिकाएँ देख डालिये , और जो कुछ दुनियाँ में देखें और आपको आकर्षित करे उसे छोटे से छोटे वाक्यांशों में उतार दीजिये।
आपको धन्यवाद , सादर।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 3, 2015 at 8:17am
आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी मज़ा तो आया ही रचनाएँ पढ़कर, दार्शनिक भावों में डूब कर चिंतन को प्रेरित भी हुआ। बहुत बहुत हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ । इस विधा के नियम समझना चाहता हूँ
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 3, 2015 at 5:08am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी क्षणिकाएँ आपको पसंद आईं , अच्छा लगा , आपका आभार एवं धन्यवाद , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 28, 2015 at 8:15am

आदरणीय विजय भाई , चारों क्षणिकायें लाजवाब हैं , दिली बधाइयाँ ।

क्या फितरत है
तुम्हारी
हमें छोड़ गए और
अपना
न जाने क्या क्या
हमारे पास छोड़ गए ……  बहुत सुंदर !! 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 25, 2015 at 10:12am
प्रिय मिथिलेश वामनकर जी , आपकी पसंद का स्वागत है , आपका बहुत बहुतआभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 25, 2015 at 10:11am
आदरणीय डॉ o गोपाल नारायण जी , आपका बहुत बहुतआभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 25, 2015 at 10:10am
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी , आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 24, 2015 at 12:28pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर, 

बहुत ही बढ़िया क्षणिकाएं हुई है. पहली और चौथी क्षणिका का भाव सम्प्रेषण और प्रभाव बहुत गहन है 

आपको इस उम्दा प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 23, 2015 at 8:54pm

आ0  विजय सर   .बेहतरीन छणिकाये

Comment by Shyam Narain Verma on September 23, 2015 at 10:50am

सुन्दर भाव पूर्ण रचना के लिये आपको बधाइयाँ ।

सादर

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