ग़ज़ल . |
क्यूँ कहते हो कोई कमतर होता है ! |
दुनिया में इन्सान बराबर होता है ! |
पाकीज़ा जज़्बात है जिसके सीने में ! |
उसका दिल भरपूर मुनौअर होता है ! |
ज़ाहिद का क्या काम भला मैख़ाने में ! |
मैख़ाना तो रिंदों का घर होता है ! |
जो तारीकी में भी रस्ता दिखलाए ! |
वो ही हमदम वो ही रहबर होता है! |
टूटा -फूटा गिरा-पड़ा कुछ तंग सही ! |
अपना घर तो अपना ही घर होता है! |
ताल में पंछी पनघट गागर चौपालें ! |
कितना सुन्दर गाँव का मंज़र होता है! |
कैद करो न इनको पिंजरों में कोई ! |
अम्न का पंछी "रज़ा'' कबूतर होता है! |
SALIM RAZA REWA
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
PARAM ADRNIY Saurabh Pandey ji aap der se hi sahi hamen duaaon se navaja to khushi hui
मैं आपकी ग़ज़ल पर विलम्ब से आ पा रहा हूँ, आदरणीय रज़ा साहब. उम्मीद है, परेशानी को समझेंगे
आपकी ग़ज़ल अच्छी हुई है. मतले ने ही बाँध लिया. दो तरह के भाव आ रहे थे. आखिरश आपका कहा अपनी बात मनवा गया .. :-))
इन अशार क् लिए विशेष बाई व दाद कुबूल करें --
टूटा -फूटा गिरा-पड़ा कुछ तंग सही ! |
अपना घर तो अपना ही घर होता है! |
ताल में पंछी पनघट गागर चौपालें ! |
कितना सुन्दर गाँव का मंज़र होता है! वाह वाह .. . |
जो तारीकी में भी रस्ता दिखलाए ! |
वो ही हमदम वो ही रहबर होता है! |
टूटा -फूटा गिरा-पड़ा कुछ तंग सही ! |
अपना घर तो अपना ही घर होता है! |
ताल में पंछी पनघट गागर चौपालें ! |
कितना सुन्दर गाँव का मंज़र होता है! बहुत शानदार गज़ल |
एक एक शेर जानदार है , जिन्दा है सलीम भाई बहुत अच्छा .....
Rajesh Kumar Jha ji bahut bahut sukriya aap ko gazal pasand aai
वाह-वाह आदरणीय, आनंद आ गया इस गज़ल को पढ़कर
NEERAJ JI GAZAL ACHHI LAGI SUKRIA.MERA LIKHNA SARTHAK HO GAYA THANKS,,ARUN JI AAP KO JO DO SHER AAPKO PASAND AAE HAME BHI YE BEHAD AZEEJ HNAN, BAHAN ANUPMA JI KO BHI YAHI SHER PASAND AAA SHUKRIYA, HAMARI KOSHISEN SARTHAK HO GAI,,
आदरणीय सलीम रज़ा साहब, सुंदर गजल पर , दाद कुबूल कीजिये
टूटा -फूटा गिरा-पड़ा कुछ तंग सही ! |
अपना घर तो अपना ही घर होता है!.....................
बहुत ही बढ़िया अशआर ,मन पर गहरी छाप छोड़ता है बहुत बधाई आपको आदरणीय रज़ा भाई जी । |
वाह आदरणीय बेहद सुन्दर ग़ज़ल हुई है सभी अशआर शानदार बन पड़े हैं बधाई स्वीकारें. आपसे इल्तजा है ग़ज़ल की बहर भी लिख देते तो हमे भी कुछ ज्ञान हो जाता.
टूटा -फूटा गिरा-पड़ा कुछ तंग सही ! |
अपना घर तो अपना ही घर होता है! |
ताल में पंछी पनघट गागर चौपालें ! |
कितना सुन्दर गाँव का मंज़र होता है! इन अशआरों हेतु विशेष तौर से बधाई स्वीकारें |
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