मालूम है कि सांप पिटारे में बंद है
फिर भी वॊ डर रहा है क्यूँ कि अक्लमंद है
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ये रंग रूप, नखरे,अदा तौरे गुफ्तगू
तेरी हरेक बात ही मुझको पसंद है
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ये दिल भी एक लय में धड़कता है दोस्तो
सांसो का आना जाना भी क्या खूब छंद है
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सोचा था चंद पल में ही छू लूँगा बाम को
पर हश्र ये है हाथ में टूटी कमंद है
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दुश्वारियों से जूझते गुजरी है ज़िन्दगी
अज्ञात फिर भी हौसला अपना बुलंद है
.
मौलिक एवं अप्रकाशित.
Comment
ये दिल भी एक लय में धड़कता है दोस्तो
सांसो का आना जाना भी क्या खूब छंद है आदरणीय अजय जी .हर शेर शानदार है ..इस शेर के लिए बिशेष रूप से बधाई सादर
दुश्वारियों से जूझते गुजरी है ज़िन्दगी
अज्ञात फिर भी हौसला अपना बुलंद है
इस बुलन्द हौसले को सलाम....
आदरणीय अजय भाई , खूब सूरत ग़ज़ल के लिये आपको बधाइयाँ ।
ये दिल भी एक लय में धड़कता है दोस्तो
सांसो का आना जाना भी क्या खूब छंद है ---- लाजवाब , बधाई भाई जी ॥
//चूंकि ... की जगह... क्यूँ कि ... कैसा रहेगा //
चूँकि और क्यूँकि, इन दोनों का वज़न २ १ है. सो, कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा. जबकि आपको ज़रूरत ऐसे शब्द की है जिसका वज़न १ २ (लघु गुरु या लाम ग़ाफ़) हो.
सादर
ये दिल भी एक लय में धड़कता है दोस्तो
सांसो का आना जाना भी क्या खूब छंद है.........वाह वाह
बहुत खूबसूरत अशआर हुए हैं.
बहुत बहुत बधाई आ० अजय अज्ञात जी
बहुत खूब आदरणीय
सौरभ भाईसाहिब .... आपके स्नेह का ऋणी हूँ
चूंकि ... की जगह... क्यूँ कि ... कैसा रहेगा
उपयुक्त सलाह देने की कृपा करें
आपका स्वागत है आदरणीय अजय अज्ञातजी ! आपका आना रौनक का कारण होता है. ग़ज़ल प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें
ये दिल भी एक लय में धड़कता है दोस्तो
सांसो का आना जाना भी क्या खूब छंद है ... . बहुत खूब !
मतले का मिसरा-सानी आपकी एक दृष्टि मांगता है. कृपया देख लीजियेगा. शब्द चूँकि मुआफ़िक जगह पर शायद नहीं है.
हो सकता है मैं गलत होऊँ. लेकिन मिसरे की तक्तीह कर लीजियेगा.
सादर
khoobsoorat gazal ke liye badhai
बहुत खूब अज्ञात जी | सादर
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