अंधेरों को मिटाने का इरादा हम भी रखते हैं
कि हम जुगनू हैं थोडा सा उजाला हम भी रखते हैं
अगर मौका मिला हमको ज़माने को दिखा देंगे
हवा का रुख बदलने का कलेज़ा हम भी रखते हैं
हमेशा खामियां ही मत दिखाओ आइना बन कर
सुनो अच्छाइयों का इक खज़ाना हम भी रखते हैं
महकती है फिजायें भी चहक़ते हैं परिंदे भी
कि अपने घर में छोटा सा बगीचा हम भी रखते हैं
हमारे पास भी है अब नए फीचर का मोबाइल
अजय देखो तो मुट्ठी में ज़माना हम भी रखते हैं
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
बहुत खूब ..शानदार ग़ज़ल के शानदार मतले के लिए विशेष लिए बधाई ..
दमखम . वाली ग़ज़ल दमखम के साथ कहने के लिए बधाई
आदरणीय अजय जी ..बहतओरीन ग़ज़ल के लिए ढेर सारी बधाई ..हाँ कुछ जगह काफिया का प्रयोग थोडा भ्रामक लग रहा है ..बैसे मुझे भी ज्यादा पता नहीं है बस लगा तो लिख रहा हूँ अन्यथा न लीगियेगा ..सादर
waaah ... वाह ॥ बहुत सुंदर ...
अंधेरों को मिटाने का इरादा हम भी रखते हैं
कि हम जुगनू हैं थोडा सा उजाला हम भी रखते हैं----बहुत ख़ूब मतला
हमारे पास भी है अब नए फीचर का मोबाइल
अजय देखो तो मुट्ठी में ज़माना हम भी रखते हैं----मक्ता उससे भी खूबसूरत
वाह्ह्ह शानदार ग़ज़ल ...दाद कबूलें
वाह वाह !! आ. अजय भाई पूरी ग़ज़ल बहुत खूब कही है , हर शे र के लिये अलग अलग दाद हाज़िर है , कुबूल कीजिये ॥
sundar I ati sundar I
वाह ! बधाई स्वीकारें आदरणीय .. .
इन दो विशिष्ट शेरों के लिए मैं विशेष बधाई दूँगा -
हमेशा खामियां ही मत दिखाओ आइना बन कर
सुनो अच्छाइयों का इक खज़ाना हम भी रखते हैं
उम्दा ! इस हौसले को सलाम !!
हमारे पास भी है अब नए फीचर का मोबाइल
अजय देखो तो मुट्ठी में ज़माना हम भी रखते हैं
अय-हय-हय ! ग़ज़ब-ग़ज़ब-ग़ज़ब !
/अंधेरों को मिटाने का इरादा हम भी रखते हैं
कि हम जुगनू हैं थोडा सा उजाला हम भी रखते हैं
अगर मौका मिला हमको ज़माने को दिखा देंगे
हवा का रुख बदलने का कलेज़ा हम भी रखते हैं/
बुलंद इरादो को सलाम; क्या ग़ज़ल कही है अजय भाई , मजा आ गया; दस बार पढ् चुका हूं, गुनगुना चुका हूं वाह बई वाह. शुभकामनाएं स्वीकार करें .
हमेशा खामियां ही मत दिखाओ आइना बन कर
सुनो अच्छाइयों का इक खज़ाना हम भी रखते हैं
बधाई हो आदरणीय इस बढिया सी गज़ल के लिए....
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