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आँखों में भरे खूँ लिए तलवार खड़ा है 
करने को मुझे कत्ल मेरा यार खडा है

.
दे दे तु मुझे अपनी दुआओँ का सहारा
चोखट पे तेरी आज ये बीमार खडा है

.
जाने दे मुझे मौत की आगोश मे हमदम
क्योँ बनके मेरी राह मे दीवार खडा है

.
मरकर ही सही  आज ये एजाज मिला तो 
करने को मेरा आज वो दीदार खडा है

.
गर मुझको मिटाने का वो रखते हें इरादा
हसरत भी फना होने को तय्यार खडा है.

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Comment

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Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on March 14, 2012 at 8:51am
बहुत बहुत शुक्रिया वीनस भाई आपकी मदद से मेरी रचना पूरी तरह से दोष रहित हो गयी है
आपने मक्ते के ऊला मिसरे के बारे मे भी कुछ बताया था लेकिन किसी वजह से वो मेरी मोबा. स्क्रीन पर नहीँ आ रहा हे
इसलिये आपसे गुजारिश हे कि मक्ते के बारे मे दोबारा बता देँ
Comment by वीनस केसरी on March 13, 2012 at 10:28pm

जाने दे मुझे मौत की आगोश मे हमदम
क्योँ बनके मेरी राह मे दीवार खडा है

वाह वा हसरत भाई खूबसूरत शेर कहे हैं
बधाई
आपकी ग़ज़ल बाबह्र है


मर कर के मुझे आज ये एजाज मिला है
इस मिसरे में के भर्ती का शब्द है मर कर के कि जगह मर कर होना चाहिए
और मिसरे में तलाबुले रदीफ दोष भी आ रहा है
इसे यूं किया जा सकता है ..

मर कर ही सही आज ये एजाज मिला तो
करने को मेरा आज वो दीदार खडा है
आप इसे और अच्छा कह सकते हैं

गर मुझको मिटाने का वो रखता हे इरादा
इस मिसरे को यूं कर लें तो
गर मुझको मिटाने का वो रखते हैं इरादा

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 13, 2012 at 9:34pm
मेरी भी हसरत है हसरत साहब कि मैं भी कोई ऐसी उम्दी गजल लिखूं पर अफसोस मैं लिख नही पाता हूं।बहरहाल आप अपने गजल के लिए एक लम्बा................................................................................................................. सा दाद कुबूल कर लीजिए।बाकी जय हिन्द!जय ओ.बी.ओ.
Comment by AVINASH S BAGDE on March 13, 2012 at 8:49pm

दे दे तु मुझे अपनी दुआओँ का सहारा

चोखट पे तेरी आज ये बीमार खडा है

हसरत साहब,बधाईयां

Comment by shashiprakash saini on March 13, 2012 at 7:03pm

बहोत अच्छी गज़ल है 

बधाई स्वीकारे हसरत जी 

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 13, 2012 at 2:03pm

हसरत साहब,

बड़ी ही ख़ूबसूरत पेशकश है आपकी| मैंने मकता कई बार पढ़ा थोड़ी सी मात्रा बढ़ी हुई लग रही है मगर मेरे ख़याल से ये शेर पूरी तरह से बहर में है| बधाईयां|


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on March 13, 2012 at 1:14pm

//मर कर के मुझे आज ये एजाज मिला है
करने को मेरा आज वो दीदार खडा है//

वाह वाह वाह हसरत साहिब - बहुत खूब. इन दिलकश आशार के लिए मेरी दिली मुबारकबाद कुबूल फरमाएं.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 13, 2012 at 10:07am

भाई जी मुझे तकनीकी ज्ञान नहीं है , जो बात कही जाये वो लोगों तक सरलता से पहुँच जाये ये ही लक्ष्य रखिये. वर्ना किताबों में बंद पन्ने की तरह रह जायेंगे. लिखते रहिये सब ठीक हो जायेगा. ये मंच बहुत उपयोगी है. यहाँ गुनिजन सप्रेम सुझाव देते हैं . मैं तो उनका ऋणी हूँ. बहुत सुन्दर भाव पूर्ण अभिव्यक्ति. बधाई.

गर मुझको मिटाने का वो रखता हे इरादा
हसरत भी फना होने को तय्यार खडा है.

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