इश्क़ करता है कोन दुनिया में
दिल से मरता है कोन दुनिया में
मुफ़्त शेखी बगारने वाले
तुझसे डरता है कोन दुनिया में
महवे हैरत है आसमां मुझ पर
आहें भरता है कोन दुनिया में
आईना बन गए हैं हम लेकिन
अब संवरता है कौन दुनिया में
सबको करना है कूच दुनिया से
कब ठहरता है कौन दुनिया में
अब न मुंसिफ़ कोई उमर जैसा
अद्ल करता है कौन दुनिया में
दिल की गहराई से तुझे हसरत
याद करता है कौन…
Added by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on January 20, 2016 at 5:00pm — 5 Comments
जाने क्या सोच के उसने ये हिमाक़त की है
हो के दरिया जो समंदर से अदावत की है
खींच लायी हे तेरे दर पे ज़रुरत मुझको
हो के मजबूर उसूलों से बग़ावत की है
हमने ख़ारों पे बिछाया हे बिछोना अपना
हमने तलवारों के साये में इबादत की है
अच्छे हमसाये की तालीम मिली हे हमको
हमने जाँ दे के पडोसी की हिफाज़त की है
आज आमाल ही पस्ती का सबब हैं वरना
हमने हर दौर में दुनिया पे हुकूमत की है
दम मेरा कूच…
ContinueAdded by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on September 23, 2015 at 12:00pm — 13 Comments
लहू से जिसको के सींचा था बागबां की तरह
Added by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on March 11, 2015 at 1:00pm — 13 Comments
Added by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on October 14, 2012 at 11:54am — 5 Comments
चाहा था दिल ने जिसको वो दिलदार कब मिला
सब कुछ मिला जहाँ में मगर प्यार कब मिला
तनहा ही ते किये हैं ये पुरखार रास्ते
इस जीस्त के सफ़र में कोई यार कब मिला
बाज़ार से भी गुज़रे हैं हाथों में दिल लिए
लेकिन हमारे दिल को खरीदार कब मिला
उल्फत में जां भी हंस के लुटा देते हम मगर
हम को वफ़ा का कोई तलबगार कब मिला
तनहा ही लड़ रहा हूँ हालाते जीस्त से
हसरत को जिंदगी में मददगार कब मिला
Added by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on October 6, 2012 at 10:54pm — 8 Comments
ये सज़ा मिली मुझको तुमसे दिल लगाने की
मिल रही हें बस मुझको ठोकरें ज़माने की
फैसला हे ये मेरा मैं तुम्हें भुला दूंगा
तुमको भी इजाज़त हे मुझको भूल जाने की
ख़ाब अब मुहब्बत के मैं कभी न देखूँगा
ताब ही नहीं मुझमे फिर से ज़ख्म खाने की
रह गयी उदासी हीअब तो मेरे हिस्से में
अब…
ContinueAdded by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on June 11, 2012 at 12:44pm — 14 Comments
फिर से गुजरे वो पल याद आने लगे
भूल जाने में जिनको ज़माने लगे
हैं वही शोखियाँ है वही बांकपन
जितने मंज़र हैं सारे पुराने लगे
कोनसी शै हे जिसपर भरोसा करें
अब तो साए भी अपने डराने लगे
उनको खुशियाँ मिलीं हे ख़ुदा का करम
हाथ अपने ग़मों के खजाने लगे
अपनी हसरत बताने जिन्हें आये थे
वो तो अपना ही मुज़्दा सुनाने लगे
Added by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on June 1, 2012 at 2:55pm — 16 Comments
उसकी पहली नज़र ही असर कर गयी
एक पल में ही दिल में वो घर कर गयी
हर गली कर गयी हर डगर कर गयी
मुझको रुसवा तेरी इक नज़र कर गयी
मैंने देखा उसे देखता रह गया
मुझको खुद से ही वो बेखबर कर गयी
साथ चलने का तो मुझसे वादा किया
वो तो तन्हा ही लेकिन सफ़र कर गयी
जिस घडी पड़ गयी इक नज़र यार की
एक ज़र्रे को शम्सो कमर कर गयी
हमने मांगी थी 'हसरत' जो रब से दुआ
वो दुआ अब यक़ीनन असर कर गयी
Added by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on May 15, 2012 at 1:00pm — 15 Comments
सदा आती है ये अक्सर तड़प के मेरे सीने से
Added by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on April 3, 2012 at 5:00pm — 4 Comments
आँखों में भरे खूँ लिए तलवार खड़ा है
करने को मुझे कत्ल मेरा यार खडा है
.
दे दे तु मुझे अपनी दुआओँ का सहारा
चोखट पे तेरी आज ये बीमार खडा है
.
जाने दे मुझे मौत की आगोश मे हमदम
क्योँ बनके मेरी राह मे दीवार खडा है
.
मरकर ही सही आज ये एजाज मिला तो
करने को मेरा आज वो दीदार खडा है
.
गर मुझको मिटाने का वो रखते हें इरादा
हसरत भी फना होने को तय्यार खडा…
Added by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on March 12, 2012 at 11:30pm — 18 Comments
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