लहू से जिसको के सींचा था बागबां की तरह
यहाँ यहाँ की तरह हैं वहां वहां की तरह
-मौलिक और अप्रकाशित-
Comment
hosla afzaai ke liya tamam hajrat ka tahe dil se shukriya ada karta hoon
bahut bahut dhanyawad shyam ji
aadarniya Hari prakash ji hosla afzaai ke liye bahut bahut shukriya
बहुत सुन्दर ग़ज़ल ! हार्दिक बधाई !
वाह जनाब पढ़ कर दिल ख़ुश हो गया ....बधाई हर एक शेर के लिये
मेरा वजूद ज़मीन पर हे आसमां की तरह वाह!! वाह!! वाह!!
यहाँ यहाँ की तरह हैं वहां वहां की तरह--------iइस शेर पर आपकी कलम चूमने को जी चाहता है i बहुत खूब गजल कही आपने i आपका इस मंच पर स्वागत है i सादर 'हसरत' साहेब i
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