For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये सज़ा मिली मुझको तुमसे दिल लगाने की

मिल रही हें बस मुझको ठोकरें ज़माने की

 

फैसला हे ये मेरा मैं तुम्हें भुला दूंगा

तुमको भी इजाज़त हे मुझको भूल जाने की

 

ख़ाब अब मुहब्बत के मैं कभी न देखूँगा

ताब ही नहीं मुझमे फिर से ज़ख्म खाने की

 

रह गयी उदासी हीअब तो मेरे हिस्से में

अब वजह नहीं कोई मेरे मुस्कुराने की

 

वो चले गए लेकिन हम न कुछ भी कह पाए

दिल में रह गयी हसरत हाले दिल बताने की

Views: 715

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 23, 2012 at 11:10pm

ख़ाब अब मुहब्बत के मैं कभी न देखूँगा

ताब ही नहीं मुझमे फिर से ज़ख्म खाने की

हसरत भाई इस ग़ज़ल के लिये आपको दिली दाद कुबूल हो.   बहुत उम्दा अश’आर हैं.

Comment by Raj Kumar Rohilla on June 16, 2012 at 9:35pm
वास्तव में बहुत अच्छी लिखी है.बधाई के पात्र हो.
Comment by Shanno Aggarwal on June 15, 2012 at 1:59am

हसरत जी, आपकी ये गज़ल बहुत खूबसूरत है....

Comment by Raj Tomar on June 14, 2012 at 9:41pm

बहुत ही उम्दा ग़ज़ल लिखी है आपने, हसरत साब.

"रह गयी उदासी हीअब तो मेरे हिस्से में

अब वजह नहीं कोई मेरे मुस्कुराने की"

वाह  वाह ..क्या कहना. :)

Comment by Albela Khatri on June 14, 2012 at 2:19pm

Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on June 14, 2012 at 2:17pm

hosla afzai ke liye bahut bahut shukriyah albela ji

Comment by Albela Khatri on June 14, 2012 at 2:16pm

वाह वाह ...क्या कहने मोहतरिम जनाब 'हसरत' साहेब........
एक एक लफ्ज़ जैसे  नगीने की तरह सलीके  से  लगाया हुआ........गज़ब ग़ज़ल कही आपने

रह गयी उदासी हीअब तो मेरे हिस्से में

अब वजह नहीं कोई मेरे मुस्कुराने की


_____सारे शे'र ख़ूबसूरत और खूबन्दाज़..
ग़ज़ल मुबारक ! 

Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on June 12, 2012 at 4:12pm

ji bahut bahut shukriyah pradeep ji ..........bas aap ki duaein milti rahein

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 12, 2012 at 3:18pm

आदरणीय हसरत साहब जी, सादर 

खता उनकी न थी दिल क्यों लगाया आपने

जख्म ज़माने ने दिए  इल्जाम उन पे लगाया आपने

नींद आएगी जब तभी तो देखेंगे आप

चले गए वो तेरी अंजुमन से पहले क्यों न मरहम लगाया आपने

बधाई. 

Comment by Yogi Saraswat on June 12, 2012 at 10:40am

ख़ाब अब मुहब्बत के मैं कभी न देखूँगा

ताब ही नहीं मुझमे फिर से ज़ख्म खाने की

 

रह गयी उदासी हीअब तो मेरे हिस्से में

अब वजह नहीं कोई मेरे मुस्कुराने की

क्या बात है हसरत साब ! बहुत सुन्दर अल्फाज़ और बहुत बढ़िया शे'र ! वाह !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . रोटी

दोहा पंचक. . . रोटीसूझ-बूझ ईमान सब, कहने की है बात । क्षुधित उदर के सामने , फीके सब जज्बात ।।मुफलिस…See More
40 minutes ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service