For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फिर से गुजरे वो पल याद आने लगे

भूल जाने में जिनको  ज़माने लगे

 

हैं वही शोखियाँ है वही बांकपन

जितने मंज़र हैं सारे पुराने लगे

 

कोनसी शै हे जिसपर भरोसा करें

अब तो साए भी अपने डराने लगे

 

उनको खुशियाँ मिलीं हे ख़ुदा का करम

हाथ अपने ग़मों के खजाने लगे

 

अपनी हसरत बताने  जिन्हें आये थे

वो तो अपना ही मुज़्दा सुनाने लगे  

Views: 581

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on June 5, 2012 at 3:42pm

ye sab aap asateez hazrat ki hi rehnumai ki badolat he .bas isi tarah aapki rehnumaai or duaaein milti rahein yahi ilteja he 

Comment by वीनस केसरी on June 5, 2012 at 3:26pm
वाह
सब कुछ सधा सधा सा
जो अपने आपमें बहुत कुछ कह गया

आपकी मेहनत रंग लाई
बधाई
Comment by राज लाली बटाला on June 5, 2012 at 2:18am

khoob rahi ji..............

Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on June 4, 2012 at 3:56pm

hosla afzaai ke liye bahut bahut shukriyah 

Comment by Bishwajit yadav on June 3, 2012 at 10:41pm
फिर से गुजरे वो पल याद आने लगे
भूल जाने में जिनको ज़माने लगे
हैं वही शोखियाँ है वही बांकपन
जितने मंज़र हैं सारे पुराने लगे

वाह! क्या जबरजस्त पक्तियाँ लिखा है आपने बिलकुल दिल को छु गई
जय हो
Comment by Rekha Joshi on June 2, 2012 at 8:39pm

शरीफ अहमद जी ,उम्दा गजल पर बधाई 

उनको खुशियाँ मिलीं हे ख़ुदा का करम

हाथ अपने ग़मों के खजाने लगे|bahut khub


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 2, 2012 at 7:45pm

ज़नाब हसरत साहब, मतले ने देर तक बाँधे रखा. इस ग़ज़ल पर हम दिली दाद कह रहे हैं. 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 2, 2012 at 6:41pm

वाह वाह वाह

बेहतरीन ग़ज़ल कही है साहब दाद क़ुबूल कीजिये

Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on June 2, 2012 at 11:02am

aap sab ko meri ye ghazal pasand aayi iske liye bahut bahut shukriyah ,bas aap ki duaon ka talabgar hoon ,nisandeh OBO ke is manch par sheuraon ki poori tarah se islaah ki jati he or unki hosla afzaai ki jati he.mein khuda se dua karta hoon ki hamara ye pariwar din dooni raat choguni taraqqi kare,

Comment by Tilak Raj Kapoor on June 1, 2012 at 9:10pm

खूबसूरत ग़ज़ल है भाई।

उनको खुशियाँ मिलीं हे ख़ुदा का करम

किसलिये खोपड़ी तुम खुजाने लगे।

आया न मज़ा।

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"2122 1212 22 जान फँसती है जब भी आफ़त में बढ़ती हिम्मत है ऐसी हालत में 1 और किसका सहारा होता है…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"सादर अभिवादन आदरणीय कबीर सर जी नमन मंच"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"जिसको देखो वही अदावत मेंकौन खुश है भला सियासत में।१।*घिस गयी जूतियाँ थमीं साँसेंकेस जिसका गया…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"सादर अभिवादन आदरणीय।"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम साहिब को सादर अभिवादन "
7 hours ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"सबका स्वागत है ।"
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . रोटी

दोहा पंचक. . . रोटीसूझ-बूझ ईमान सब, कहने की है बात । क्षुधित उदर के सामने , फीके सब जज्बात ।।मुफलिस…See More
13 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Wednesday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
Wednesday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service