फिर से गुजरे वो पल याद आने लगे
भूल जाने में जिनको ज़माने लगे
हैं वही शोखियाँ है वही बांकपन
जितने मंज़र हैं सारे पुराने लगे
कोनसी शै हे जिसपर भरोसा करें
अब तो साए भी अपने डराने लगे
उनको खुशियाँ मिलीं हे ख़ुदा का करम
हाथ अपने ग़मों के खजाने लगे
अपनी हसरत बताने जिन्हें आये थे
वो तो अपना ही मुज़्दा सुनाने लगे
Comment
ye sab aap asateez hazrat ki hi rehnumai ki badolat he .bas isi tarah aapki rehnumaai or duaaein milti rahein yahi ilteja he
khoob rahi ji..............
hosla afzaai ke liye bahut bahut shukriyah
शरीफ अहमद जी ,उम्दा गजल पर बधाई
उनको खुशियाँ मिलीं हे ख़ुदा का करम
हाथ अपने ग़मों के खजाने लगे|bahut khub
ज़नाब हसरत साहब, मतले ने देर तक बाँधे रखा. इस ग़ज़ल पर हम दिली दाद कह रहे हैं.
वाह वाह वाह
बेहतरीन ग़ज़ल कही है साहब दाद क़ुबूल कीजिये
aap sab ko meri ye ghazal pasand aayi iske liye bahut bahut shukriyah ,bas aap ki duaon ka talabgar hoon ,nisandeh OBO ke is manch par sheuraon ki poori tarah se islaah ki jati he or unki hosla afzaai ki jati he.mein khuda se dua karta hoon ki hamara ye pariwar din dooni raat choguni taraqqi kare,
खूबसूरत ग़ज़ल है भाई।
उनको खुशियाँ मिलीं हे ख़ुदा का करम
किसलिये खोपड़ी तुम खुजाने लगे।
आया न मज़ा।
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