For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मिसेज शर्मा के घर किटी-पार्टी का आयोजन था। कालोनी की महिलायें बैठी गप्पें मार रही थीं। मिसेज शर्मा की नौकरानी रज्जो चाय लेकर आयी । पर यह क्या इस कडाके की ठंडक में भी वो बिलकुल साधारण-से कपड़ों में थी । गर्म कपड़े के नाम पर एक हाफ़ ऊनी ब्लाउज भर। बस। 
"अरे रज्जो, ऐसी ठंड पड़ रही है, तू गर्म कपड़े क्यों नहीं डाल लेती ?", मिसेज गुप्ता पूछ बैठीं ।
रज्जो कुछ नहीं बोली। चाय की ट्रे रख कर चली गई। 
"मिसेज गुप्ता इन लोगो को ठंड नहीं लगती, जाड़ा हो या गर्मी.. ये बिता लेतें हैं.." कहते हुए मिसेज शर्मा का मुँह कैसा तो हो आया। 
"ऐसी बात नहीं है मिसेज शर्मा, आपकी नौकरानी की ही उम्र की मेरे घर पर भी एक नौकरानी है, पिछले जाड़े में उसे सर्दी लग गई थी। महारानी एक हफ़्ते बीमार रहीं। घर का सारा काम तो करना ही पड़ा, तीमारदारी करनी पड़ी वो अलग। दवा-डॉक्टर का जो खर्च हुआ, वो ऊपर से। इस बार तो जाड़े का मौसम शुरू होते ही मैंने उसे ऊनी शाल, स्वेटर, कम्बल सबकुछ दे दिया है.. कि महारानी की तबियत कहीं फिर नासाज न हो जाए..", 
"आप ठीक कह रही हैं मिसेज गुप्ता, मैं भी कल इसके लिए गर्म कपड़े दिलवा ही देती हूँ। कहीं इसकी भी तबियत-वबियत बिगड़ गई तो लेने के देने पड़ जायेंगे"

पार्टी समाप्त हो गयी थी। एक-एक कर सभी अपने-अपने घर को निकल लीं। 
"मिसेज गुप्ता, तुम्हारे घर तो नई नौकरानी आयी है न ?.. जहाँ तक मुझे पता है, इससे पहले तो तेरे घर कोई नौकरानी भी नहीं थी !"
"हां संगीता, तुम ठीक कह रही हो.."
"तो फिर मिसेज शर्मा से तुम झूठ क्यों बोल गयीं ?"
"अरे, तुम उन्हें नहीं जानती.. यदि मैं सीधे-सीधे कह देती कि नौकरानी को गर्म कपड़े दिलवा दीजिये तो वो उसे कपड़े तो क्या दिलवाती, मुझसे झगड़ ही पड़तीं.. उस बिचारी रज्जो की हालत तो देखी न तुमने ? कैसे इस कड़ाके की ठंडक में सिकुड़ी जा रही थी.. ..

.. यदि जरा सा झूठ किसी का भला कर दे ......तो झूठ अच्छे हैं ना.... !!!.."

पिछला पोस्ट : लघुकथा : कृष्ण पक्ष

Views: 851

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 30, 2013 at 12:39pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया डॉ भावना तिवारी जी |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 30, 2013 at 11:15am

आये दिन इस तरह की घरों पर बात होती रहती है, पर इसे कहानी का रूप दे 

आदर्श रूप में प्रस्तुत करने के लिए बधाई आदरनीय श्री गणेश जी बागी जी 
Comment by अरुन 'अनन्त' on January 30, 2013 at 11:01am

आदरणीय बागी सर प्रणाम, बहुत ही बारीके से लिखी गई सुन्दर सीख देती हुई लाजवाब लघु कथा हेतु हार्दिक बधाई.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 30, 2013 at 10:01am

सदाशयता से बोला गया झूठ सौ सत्य के सामान है...

मिसेज शर्मा जैसी मानसिकता के लोग सीधी बातें नहीं समझ सकते, उन्हें घुमा कर ही समझाना पढता है.

आम जन जीवन में जहां तहां व्याप्त ऐसी मानसिकता, जो सिर्फ अपना निहित स्वार्थ भर देखते हुए या फिर महज दिखावे के लिए समाज में मानवीयता की चादर ओढती है....उसे उजागर करती सुन्दर लघुकथा पर हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी.

//यदि जरा सा झूठ किसी का भला कर दे ......तो झूठ अच्छे है ना....'//

इस पंक्ति में झूठ अच्छे है ना में अच्छा के स्थान पर अच्छे टंकित हो गया है.शायद.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 30, 2013 at 9:54am

एक सीख देती हुई लघुकथा सही है जिससे किसी का भला हो उस झूठ पर तो भगवान् भी नाराज नहीं होंगे बहुत बहुत बधाई गणेश जी इस सार्थक लघु कथा पर ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 30, 2013 at 9:41am

कहा गया भी गया है प्रियञ्चनानृतं न ब्रुयात् ... यानि प्रिय लगते झूठ न बोलें.   हम नीति के अनुसार सामन्यतया इसी कहे का अनुपालन भी करते हैं. लेकिन इस कथन के समानान्तर एक और उक्ति है.. यद्भूतहितमत्यन्तं तत्सत्यमिति धारणा..  अर्थात्  जो अन्यान्यों का (सार्थक) भला कर सके (वस्तुतः) वही सत्य सत्य है ऐसी ही धारणा श्रेयस्कर है. 

इस लघुकथा के लिए अतिशय बधाइयाँ और हार्दिक शुभकामनाएँ, गणेशभाई.

शुभ-शुभ

Comment by Suresh k 'Saurabh' on January 30, 2013 at 8:56am

वाह! क्या बात है!
आपकी कथा ने बिल्कुल सत्य कहा - ''जरा-सा झूठ किसी का भला कर दे तो उसे झूठ नहीं कहते।''
ये तो सच से महान है।
मेरी भी यही धारणा है।

Comment by भावना तिवारी on January 30, 2013 at 8:37am

 यदि जरा सा झूठ किसी का भला कर दे ......तो झूठ अच्छे है ना.... !!!.."

संदेश देती सार्थक कहानी ..बधाई ..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
11 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service