For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बदल रहा है इतिहास (लघुकथा)

" यार ,वहां जो चर्चा चल रही है , उसके बारे में कोई जानता है क्या ?" कैंटीन में बैठे हुए करण ने अपने साथियों से पूछा |"

" , क्या वही चर्चा जिसमें इतिहास की बातें चल रही हैं ? सुना है वहां भारत में पहले कौन आया इस विषय पर चर्चा हो रही है |" साथी मित्र ने उत्तर दिया |

दूसरा बोला , ", मुझे तो बचपन से लगता रहा है कि, उफ्फ् कितनी सारी तारीखें , कितने देश और उनके साथ जुड़ा उनका इतिहास | "

" जो भी हो पर यह है तो बड़ा दिलचस्प , समय बदला तारीखें बदली , राजा महाराजा बदले , राज करने के तरीके बदले , कितना कुछ लिखा गया है इतिहास के पन्नो पर | लोगों की लडाई , उनके संघर्ष कितना कुछ है इसमें | "  साथी मित्र  बोला |

"सच कहे रहे हो तुम , बहुत कुछ बदलता रहा है , समय के साथ जाने कितनी बातें दफ़न हो गयीं है , जिसने प्रयास कर लिख दिया वो आज इतिहास बन दिखाई दे रहा है , यह भी निश्चित है , जाने और कितने राज़ छुपे होंगे अभी | करण ने कहा |

" हाँ करण , सही कह रहे हो समय के साथ इतिहास भी बदला , आज देखो न क्या हाल कर दिया है देश का इन साधु बाबाओं ने | आये दिन कोई न कोई बखेड़ा खड़ा कर देते हैं | और बेक़सूर बेचारे बेवजह मारे जाते हैं | " साथी ने कहा |

इन सब की बातें कैंटीन बॉय सुन रहा था , उसने मासूमियत से पूछा ," क्यों सर क्या इतिहास भी बदल रहा है ? अब इतिहास के पन्नों पर इन बाबाओं का नाम दर्ज़ होगा ? "

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 537

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 2, 2017 at 9:34am
धन्यवाद आदरणीय समर भाई जी ।
Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on September 2, 2017 at 7:57am

बहुत अच्छी लघुकथा कही है आदरणीया कल्पना दी| अंतिम पंक्ति का कटाक्ष अपना प्रभाव छोड़ने में सक्षम है| सादर बधाई स्वीकार करें इस सृजन हेतु|

Comment by Samar kabeer on September 1, 2017 at 9:27pm
बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,बहुत अच्छी लगी आपकी लघुकथा,प्रयास करती रहें,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 1, 2017 at 4:07pm

धन्यवाद् आदरणीय शहजाद भाई | 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 1, 2017 at 4:06pm

धन्यवाद् आदरणीय फूल सिंह जी |

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 31, 2017 at 4:55pm
बहुत ही समसामयिक विचारोत्तेजक विषय पर रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय कल्पना भट्ट जी। अंतिम कुछ पंक्तियां बहुत बढ़िया हैं जो रचना का मुख्य भाग हैं। बाकी भाग में कहीं-कहीं मुझे भावों की पुनरावृत्ति समझ में आ रही है।
Comment by PHOOL SINGH on August 31, 2017 at 4:03pm

बेहतरीन

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service