प्रश्न ये है
कि अन्तोगत्वा
हाथ क्या लगता है ?
समझ में आ जाये
तो बताइये हाथ
आपका क्या लगता है ?
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय विजय निकोर जी , नमस्कार , आपने रचना को मान दिया , ह्रदय से आभार। आप स्वस्थ रहें , प्रसन्न रहें और ओ बी ओ पर आते रहें , सुभेच्छू , सादर।
चंद शब्दों में इतना अच्छा, इतना कुछ कह लेना... यह आपकी खूबी है। हार्दिक बधाई, मित्र विजय शंकर जी।
आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी , रचना आप तक पहुंचीं , आपको पसंद आई , सफल हुयी। आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।
आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी , आपने रचना में और उससे जुड़े संवादों में गहरी रूचि ली , निसंदेह सामान्य से अधिक समय दिया , आपका आभार ,रचना अपने उद्देश्य में सफल , सफलता के कोइ सौ पचास प्रमाण - पत्रों की आवश्यकता नहीं होती है , बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।
आद0 विजय शंकर जी सादर अभिवादन। इतने कम शब्दों में,, इतनी गहरी बात आप के हवाले से ही आ सकती है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय। सादर
आदाब। वाह और वाह। जितना अच्छा आपकी रचना पढ़कर लगा, उतना ही अच्छा जवाबी टिप्पणियों को पढ़कर, लाभान्वित हो कर लगा। हार्दिक बधाई और आभार जनाब डॉ. विजय शंकर साहिब।
आदरणीय सुश्री उषा साहनी जी , आपने फ्रांसिस बेकन को याद किया , मेरा भी वह बहुत प्रिय लेखक है। हाँ , मुझे आपकी टिप्पणी के साथ याद आ गया कि Brevity is soul of wit ! जो मैं कभी भूलता नहीं। हम नेता तो हैं नहीं कि बोलते चलें जाएँ और सार कुछ न निकले।विश्व में बहुत बड़ी बड़ी बातें तो कुछ शब्दों में कहीं गई हैं , प्रकृति तो कुछ भी नहीं बोलती पर हमें हमारा सारा ज्ञान इसी प्रकृति से मिलता है। हाँ , हमें महसूस करना आना चाहिए।
आभार और धन्यवाद , सादर।
आदरणीय समर कबीर साहब, नमस्कार , आपका बहुत बहुत आभार रचना कितनी भी छोटी क्यों न आपकी पैनी दृष्टि से छुप नहीं पाती , न स्वरुप से न भावार्थ से। बहुत बहुत आभार और धन्यवाद। सादर।
आदरणीय डॉ वियज शंकर सर, आपने "फ्रांसिस बेकन" की तरह कई सारी बातों को इतने कम शब्दों में बड़ी ख़ूबसूरती से अभिव्यक्त किया है। बधाई स्वीकार करें सर। सादर।
जनाब डॉ. विजय शंकर जी आदाब,कमाल है साहिब,कम शब्दों में बड़ी बात कहना कोई आपसे सीखे,बहुत ख़ूब, वाह, इस शानदार प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online