For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कितनी अपनी है जिंदगी --- डॉ o विजय शंकर

अपनी होते हुए भी कितनी अपनी है जिंदगी ,
हम नाचते हैं जिंदगी भर , नचाती है जिंदगी।

बस में बिलकुल नहीं है किसी के भी जिंदगी
खुद पर जिंदगी भर कितनी हावी है जिंदगी।

हसरत है तुझे जी लें एक बार अपने ही ढंग से
पर तू तो अपने ही ढंग से जिलाती है जिंदगी।

वो नाचने वाला है ,हुनर है , यही रोजी है उसकी ,
उसको भी अपने ही ढंग से नचाती है जिन्दंगी |

उसकी मर्जी ,करम कैसे - कैसे कराती है जिंदगी
निष्ठुर अपने ही ढंग से हँसाती-रुलाती है जिंदगी |

कितने हैं जो काँटों में भी सुकून से ज़िंदा रह लेते हैं
सेज-फूल पर भी कांटे कैसे कैसे चुभाती है जिंदगी |

ये खुशियाँ , ये गम , लगता है अपने ही किये का फल है ,
पर सजायें तो कुछ अपने ही ढंग से दिलाती है जिंदगी।



मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

Views: 493

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 25, 2015 at 7:59pm
बहुत बहुत आभार आदरणीय इंजीo गणेश जी बागी जी, सुन्दर मूल्यांकन एवं बधाई के लिए. सादर।

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 25, 2015 at 4:42pm

सुन्दर और भावयुक्त अभिव्यक्ति हुई है, बहुत बहुत बधाई आदरणीय डॉ विजय शंकर जी.

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 25, 2015 at 9:14am
रचना पसंद कर स्वीकार करने एवं आपकी बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 25, 2015 at 8:55am
प्रिय जीतेन्द्र जी, रचना पसंद करने के लिए एवं आपकी बधाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 25, 2015 at 8:51am
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय राहुल जी, सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on January 24, 2015 at 7:56pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर बहुत सुन्दर रचना ..........

अपनी होते हुए भी कितनी अपनी है जिंदगी ,
हम नाचते हैं जिंदगी भर , नचाती है जिंदगी।.....शानदार , हार्दिक बधाई ! सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 24, 2015 at 7:36pm

बेहद खूबसूरत रचना , आदरणीय डा. विजय जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 24, 2015 at 7:09pm
सुन्दर रचना आदरणीय!
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 23, 2015 at 10:27pm
रचना अपने भावों सहित आप तक पहुंची , आपको पसंद आई, उसे सार्थकता मिली। आपकी बधाइयों के लिए ह्रदय से धन्यवाद, आदरणीय शिज्जु शकूर जी, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 23, 2015 at 9:42pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर बहुत खूबसूरत भावों की अभिव्यक्ति है बहुत बहुत बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
7 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
10 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
10 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
10 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
10 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
10 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service