जिंदगी जीने का मौक़ा ,
भीड़ से निकल कर मिलता है ,
माहौल कुछ इस कदर
असर करता है।
अकेले हों तो ख़ुद से बात
करने का मौक़ा मिलता है l
भीड़ में तो आदमी बस
दूसरों की सुनता है।
हर आदमी कोई न कोई
सवाल लिए मिलता है ,
आपको अपनी सुनाता है ,
फिर भी आपके जवाब
को कौन सुनता है ?
शायद इसीलिये अकेलापन
आपको बहुत कुछ सीखने
समझने का मौक़ा देता है।
जिंदगी जीने का मौक़ा तो
भीड़ से निकल कर ही मिलता है।
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , रचना को मान देने और बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
आ. भाई विजय जी, उत्क्रिष्ट रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।
आदरणीय सुश्री ( डॉo ) गीता चौधरी जी , रचना आपको पसंद आयी जानकर अच्छा लगा , आभार। आपने कविता पर ध्यान दिया और शीर्षक ‘ अकेलापन’ में अनुभव हो रही नकारात्मकता की ओर संकेत किया। यह बात मुझे भी खटक रही थी , विकल्प के रूप में एक अन्य शीर्षक , ‘भीड़ से हटकर ’ पर ध्यान गया भी पर फिर मैंने इसे ही अपना लिया क्योंकि मैंने अकेले होने के महत्व या अकेलेपन के महत्व का ही निरूपण किया है। मैं अपने प्रयास में सफल भी हूँ यह आपने ने भी माना है। अतः यह
शीर्षक सही है। नकारात्मकता को सकारात्मकता दे पाना भी एक धनात्मकता है , आशा है आप सहमत होंगी।
आपको धन्यवाद , सादर।
आदरणीय डा० विजय शंकर जी सादर प्रणाम, बहुत भाव एवं अर्थ समेटे है आपकी ये पंक्तियाँI , सर बहुत बधाई! पर अकेलापन एक नकारात्मक सा शीर्षक लग रहा है, जबकि बड़े ही सकारात्मक द्रष्टिकोण से आपने लिखा हैI
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online