For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिंदगी को सौ बार जिया होता --डॉo विजय शंकर

इक बार जिंदगी में प्यार किया होता
खोने का मजा भी आ गया होता ,
जिंदगी भर जोड़ते रहे योगी बन के
कुछ बाँट दिया होता कुछ भोग लिया होता ,
रिश्तों को , दोस्तों को , तराजू पे तौलते रहे
कभी तो तराजू को आराम दिया होता ,
दुनिया कुछ नहीं , इक खूबसूरत नज़ारा है
जी भर के इसको , देख लिया होता ,
कुछ कह लिया होता ,कुछ सुन लिया होता
कुछ खो दिया होता ,कुछ पा लिया होता ,
कुछ भी तो साथ यहां से जाता नहीं
जो कुछ था यहीं , भुना लिया होता ,
जिंदगी को नसीहतें क्या देते रहे
जिंदगी को जी भर के जी लिया होता ,
जब भी जाते खुशी खुशी जाते
न ये मलाल होता , न वो मलाल होता ,
इक बार जिंदगी में प्यार किया होता
एक ही जिंदगी को सौ बार जिया होता ||

मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

Views: 736

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 18, 2015 at 10:09pm
आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी , आपको रचना के भाव पसंद आये ,मैं आपका आभारी हूँ। आपकी सभी सद्भावनाओं के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 18, 2015 at 10:06pm
आदरणीय सोमेश कुमार जी , आपको रचना पसंद आई ,मैं आपका आभारी हूँ। शेष भाव जैसे आते हैं मैं वैसे ही लिख देता हूँ , आपको अच्छे लगे यह आपकी सुरुचि का परिचायक है , मुझे यह भी एहसास है , आपकी सभी सद्भावनाओं के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by maharshi tripathi on March 18, 2015 at 9:50pm

इस सुनदर भाव्यक्ति पर आपको सादर बधाई आ.Dr. Vijai Shanker जी |

Comment by somesh kumar on March 18, 2015 at 11:22am

सरलतापूर्वक अपने हृदय के भाव कहना ,आपकी रचनाओं की ये विशेषता बहुत आनन्दित करती है |मेरे विचार में जनवाणी वाली ये शैली आपको मंच के लोकप्रिय रचनाकारों में स्थान दिलाती है |इसे बनाए रखें |

साधुवाद 

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 18, 2015 at 10:29am
आदरणीय शिज्जु शकूर जी , आपको रचना के भाव पसंद आये , अच्छा लगा , आभार , आपकी बधाई के लिए ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 18, 2015 at 10:27am
आदरणीय सौरभ जी , आपको रचना के भाव जँचे , अच्छा लगा , आभार , आपकी बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 18, 2015 at 10:25am
प्रिय मिथिलेश जी , आपको रचना अच्छी लगी , अच्छा लगा , आभार , आपकी सद्भावनाओं के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 18, 2015 at 9:49am

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर खूबसूरत भावपूर्ण रचना है बहुत बहुत बधाई आपको


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 18, 2015 at 6:14am

निर्गुनिया भावों केलिए बधाई आदरणीय.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 18, 2015 at 4:16am

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर, इस भावपूर्ण सुन्दर  प्रस्तुति के लिए  हार्दिक बधाई , सादर नमन 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
5 hours ago
Admin posted discussions
8 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
19 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday
AMAN SINHA posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
Wednesday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service