For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पाओगे वही जो चाहोगे -- डॉo विजय शंकर

सच बोलू ,
सुन पाओगे ?
सत्य-मार्ग है ,
चल पाओगे ?
विजय-पथ है ,
लड़ पाओगे ?
प्रेम है ,
ले पाओगे ?
मित्रता है ,
निभा पाओगे ?
थोड़ा मीठा है ,
खा लोगे ?
नमक तेज है ,
खा लोगे ?
मुद्दा है ,
सुलझाओगे ?
या भुनाओगे ?
हर समस्या का
हल है ,
हल चाहोगे ?
बात ये है कि
पाओगे वही
जो चाहोगे।


मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 702

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 7, 2017 at 9:51am
आदरणीय महेंद्र कुमार जी , आपने रचना को बहुत मान दिया और पूर्ण मनोयोग से पढ़ा। आपका सुझाव अच्छा है , धन्यवाद और ह्रदय से आभार , सादर।
Comment by Mahendra Kumar on October 6, 2017 at 9:34pm

आ. डॉ. विजय शंकर जी, बेहद उम्दा और प्रेरणादायी कविता कही है आपने. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. 

मुद्दा है ,
सुलझाओगे ?
या उसको

भुनाओगे ?
हर समस्या का
हल है ,
हल चाहोगे ?
बात ये है कि
वही पाओगे 
जो चाहोगे।

देख लीजिएगा. सादर.

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 4, 2017 at 8:07am
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , रचना को स्वीकृति प्रदान कर आपने उत्साह बढ़ाया , आभार। आपकी बधाई के लिए हार्दिक धन्यवाद।
टंकण त्रुटि पर ध्यानाकर्षित करने हेतु भी आभार , सादर।
Comment by Samar kabeer on October 3, 2017 at 12:27pm
आली जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,आपके सवालात के पीछे छुपे तंज़ वो सब बयाँ कर रहे हैं जो हर आदमी की फितरत है, बहुत ही ख़ूबसूरत अंदाज़ में आपने हक़ीक़त बयान कर दी,और अंत में 'बात ये है कि
पाओगे वही
जो चाहोगे'
ने सोने पर सुहागा कर दिया,इस बहतरीन रचना के लिए दिल से ढेरों बधाई स्वीकार करें ।
पहली पंक्ति 'सच बोलू' को "सच बोलूँ"करलें,टंकण त्रुटि है शायद ।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 3, 2017 at 9:25am
आदरणीय अफरोज सहर जी , आपकी उपस्थिति एवं रचना को मान देने के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Afroz 'sahr' on October 2, 2017 at 9:50am
आदरणीय विजय शंकर जी सुंदर रचना के लिए सुंदर सी बधाई आपको।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 2, 2017 at 5:57am
आदरणीय डॉo आशुतोष मिश्रा जी , आपका ह्रदय से आभार , रचना को मान देने के लिए , आपकी नज़र भी सही जगह पर पड़ी। धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 2, 2017 at 5:56am
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी , आपने रचना को पसंद किया , उसे मान मिला। रचना स्वयं को अभिव्यक्त कर सकी। आपका ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 30, 2017 at 10:04pm
आदरणीय विजय सर ये रचना तो कमाल की है सच है हर समाधान है लेकिन आप क्या चाहते ही सब इसपर निर्भर करता है उस रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर
Comment by Mohammed Arif on September 30, 2017 at 8:48pm
आदरणीय विजय शंकर जी आदाब, फिर धमाकेदार संक्षिप्त किंतु सारगर्भित कविता । इस छोटी-सी कथा में आपने सबकुछ कह दिया । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service