For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सत्यमेव् जयते - डॉo विजय शंकर

सत्य के प्रति उनका समर्पण
झुठलाया नहीं जा सकता ,
सफलता उन्होंने चाहे कैसे ,
कितने ही झूठों से पायी हो ,
श्रेय सदैव सत्य को ही दिया।
अपनी हर जीत को सदैव
सत्य की जीत ही बताया।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 611

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 17, 2017 at 10:35am
आभार , आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सादर।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 16, 2017 at 7:36pm
बहुत खूब हार्दिक बधाई ।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 16, 2017 at 10:46am
आदरणीय सलीम रज़ा रीवा साहब, नमस्कार , आपका मेरी किसी प्रस्तुति पर प्रथम आगमन है , ह्रदय से आपका स्वागत है। आपने मेरी रचना को पसंद किया , उसमें सार्थक रूचि ली , मैं आपका आभारी हूँ। बधाई के लिए धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 16, 2017 at 10:42am
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , आपने अपने शेर से बहुत बड़ी और सच्ची बात कह दी। लाजवाब। आपकी प्रशस्ति के लिए आभार और ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 16, 2017 at 10:34am
आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी, आपके विद्व्तापूर्ण विवेचन के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 16, 2017 at 10:34am
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी , आपकी विशद व्याख्या के लिए ह्रदय से आभार एवं बधाई के लिए धन्यवाद , सादर।
Comment by SALIM RAZA REWA on October 15, 2017 at 8:43pm
आली जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,आपकी कविता इस बहतरीन कविता के लिए दिल से मुबारकबाद पेश करता हूँ
Comment by Samar kabeer on October 15, 2017 at 5:11pm
आली जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,आपकी कविता पढ़कर मुझे अपना एक शैर याद आ गया:-
'उम्र भर उसने सच नहीं बोला
और सच का हिमायती भी है'
हक़ीक़त से क़रीब इस बहतरीन कविता के लिए दिल से मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 14, 2017 at 7:40pm
अपने अपने सत्य, अपने अपने लक्ष्य, अपने अपने साधन, अपने अपने साध्य और साधक। बेहतरीन यथार्थ पूर्ण, कटाक्षपूर्ण रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी।
Comment by Mohammed Arif on October 13, 2017 at 11:38am
आदरणीय विजय शंअर जी आदाब, बहुत ही गूढ़ व्यंजना । हमारे शास्त्रों में भी सत्य और असत्य की व्याख्या बड़ी बारीकी से की गई है । इस प्रस्तुति पर आपको हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
15 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service