For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दुनिया में दुनिया - डॉo विजय शंकर

इस दुनिया में
हर आदमी की
अपनी एक दुनिया होती है।
वह इस दुनिया में
रहते हुए भी अपनी
उस दुनिया में रहता है।
उसी में रह कर रहता है ,
उसी में सोचता है ,
उसी में जीता है।
**************************
वो बेहद खुशनसीब हैं
जो रिश्तों को जी लेते हैं ,
वफ़ा के लिए जी लेते हैं ,
वफ़ा के लिए मर जाते हैं ,
बाकी तो सिर्फ ,इन्हें
निभाते-निभाते मर जाते हैं।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 538

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 16, 2020 at 11:45pm

आदरणीय समर कबीर साहब , आपका आभार , सादर। 

Comment by Samar kabeer on June 16, 2020 at 11:10am

ये जानकर मन हल्का हो गया कि आप सपरिवार कुशल हैं,आगे भी अपना ध्यान रखिएगा ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 16, 2020 at 6:56am

   आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , अमेरिका अपेक्षाकृत काफी प्रभावित रहा है और अभी भी है। लॉक डॉउन और social distancing यहां भी चल रही है , स्कूल , कॉलेजेस बंद हैं , पर उतनी कठोरता नहीं है , लोग आवश्यकतानुसार कार से घर के बाहर आते जाते रहते हैं , सामान सब online आ जाता है। मैं मैसेच्येसेट के
वॉलपोल शहर में हूँ , यहां स्थिति बेहतर है , लोग घूमने टहलने भी निकलते हैं , पर चूँकि मकानात एक दूसरे से काफी काफी दूर दूर हैं अतः आपस में दूरियां स्वाभाविक रूप से बनी हुईं हैं। मास्क का प्रयोग सभी लोग कर रहे हैं , औफिस वगैरह बंद हैं , लोग work from home से काम करते हैं। एक अत्यंत व्यवस्थिति कार्य शैली होने के कारण जन जीवन भी व्यवस्थित ही है। हम लोग घर पर ही रहते हैं , बच्चे भी स्कूल नहीं जाते अतः उन्हें संभालने में समय आराम से बीत जाता है। हालात ऐसे हैं कि लिखना कम , पढ़ना अधिक हो रहा है।
इतिहास में ही पढ़ा है कि मनुष्य को दो चीज़ों ने आश्चर्यजनक ढंग से बहुत अधिक प्रभावित किया है , एक मृत्यु ने और दूसरे बीमारियों ने , मृत्यु ने उसे आध्यात्मिकता की ओर ले जाने का काम किया और बीमारियों ने , सफाई से नियमित जीवन शैली अपनाने को प्रेरित किया। पर कहीं न कहीं चूक तो होही रही है वरना प्रकृति इतनी कठोर और निष्ठुर तो नहीं है।
सम्प्रति हम कुशल से हैं और आपकी सपरिवार कुशलता चाहते हैं। सादर , शुभकामनाएं।  

Comment by Samar kabeer on June 15, 2020 at 8:12pm

अमेरिका के हालात की जानकारी है मुझे,इसी कारण से आपकी मुझे बेहद चिंता है,कृपया अपने बारे में बताएँ कि आप वहाँ ख़ैरियत से हैं ,मैं यहाँ ठीक हूँ ।

Comment by Samar kabeer on June 15, 2020 at 8:12pm

अमेरिका के हालात की जानकारी है मुझे,इसी कारण से आपकी मुझे बेहद चिंता है,कृपया अपने बारे में बताएँ कि आप वहाँ ख़ैरियत से हैं ,मैं यहाँ ठीक हूँ ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 15, 2020 at 7:19pm

आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , आशा है स्वस्थ, सकुशल होंगे। मैं इस समय अमेरिका में ही हूँ , लौकडाउन यहां भी है। आपकी चिंता, बधाई और उत्साह वर्धन के लिए ह्रदय से आभार , आपकी पारखी नज़र को प्रणाम। सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 15, 2020 at 7:13pm

आदरणीय सुरेन्द्रनाथ सिंह कुशक्षत्रप जी , आपकी प्रतिक्रया हेतु आभार एवं बधाई के लिए धन्यवाद, सादर।

Comment by Samar kabeer on June 15, 2020 at 6:54pm

जनाब डॉ. विजय शंकर जी आदाब, काफ़ी समय बाद आपकी रचना ओबीओ पर देख कर प्रसन्नता हुई,आप इंडिया में हैं या अमेरिका में?

दोनों कविताएँ अच्छी हुई हैं,लेकिन इनमें वो क़लम की धार नहीं है,जो आपकी रचनाओं में अक्सर होती है,बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on June 15, 2020 at 11:48am

आद0 विजय शंकर जी सादर अभिवादन। अच्छा लिखा है आपने।बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service