For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बात गज़ब की करते हो -- डॉo विजय शंकर

हालात बदलने की बात करते हो
आदमी बदल देते हो
हालात बदल नहीं पाते ,
या बदलना नहीं चाहते हो।
खुद को तरक्की पसंद कहते हो
तरक्की की बात करते हो
काम करने के पुराने तरीके
नहीं बदलते हो ,
आदमी बदल देते हो ।
उसने बहुत सहा , अब तुम सहो ,
इसी को सामाजिक न्याय कहते हो ,
गज़ब करते हो बिना हींग फिटकरी के
रंग चोखा करते हो ॥
तरक्की की बात करते हो
खुद को तरक्की पसंद कहते हो ॥
अच्छा करते हो कि बुरा, पता नहीं
पर बात गज़ब की करते हो ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 836

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by maharshi tripathi on April 9, 2015 at 5:37pm

आ. Dr. Vijai Shanke जी ,,सुन्दर रचना हार्दिक बधाई |

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 9, 2015 at 5:54am
प्रिय मिथिलेश जी, आपको रचना पसंद आई , आभार , आपकी हार्दिक बधाई के लिए ह्रदय धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 9, 2015 at 5:51am
आपका कहना बिलकुल सही है प्रिय कृष्ण मिश्रा जी , यहां पर मैंने सिर्फ एक ही बिंदु को लिया है , अव्यवस्था को ही बदला जाता है , एक झेल चुका अब दूसरा आये और झेले से अव्यवस्था वहीं रहती है , वह कहीं नहीं जाती , यह प्रगति नहीं है , यह सिर्फ अव्यवस्था को झेलने की सहभागिता है। यह भी कि सिर्फ बातों से भी प्रगति नहीं होती। आपकी बात सौ प्रतिशत सही है पर लिखे भी कोई कहाँ तक , कुछ हरी कथा जैसा हाल है , अंतहीन।
आप की टिप्पणी के लिए आभार , लिखूंगा , आगे , अवश्य , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 9, 2015 at 12:19am

आदरणीय विजय शंकर सर बहुत अच्छी भावपूर्ण कविता है 

हार्दिक बधाई 

इन पंक्तियों पर विशेष बधाई ---- 

तरक्की की बात करते हो
खुद को तरक्की पसंद कहते हो ॥
अच्छा करते हो कि बुरा, पता नहीं
पर बात गज़ब की करते हो ॥

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 8, 2015 at 10:02pm

सरकारी मशीनरी पे तंज करती सुन्दर रचना!सुन्दर रचना आदरणीय!!थोड़ा और विस्तार चाहती थी रचना, अंत में मुझे ऐसा लगा!

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 8, 2015 at 9:50pm
आदरणीय सुश्री राजेश कुमारी जी , रचना पर आपकी प्रशस्ति के लिए आभार , बधाई हेतु धन्यवाद , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 8, 2015 at 9:21pm

आज की  इंसानी फितरत का आईना दिखाती हुई सुन्दर सार्थक रचना बहुत खूब ..हार्दिक बधाई आ० डॉ० विजय शंकर जी. 

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 8, 2015 at 6:46pm
आदरणीय सुश्री मीणा पाठक जी , रचना की प्रशस्ति के लिए आपका आभार। आपकी बधाई के लिए धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 8, 2015 at 6:22pm
आदरणीय समर कबीर साहब जी , नमस्कार रचना की प्रशस्ति के लिए आपका बहुत बहुत आभार, सच्चाई होनी चाहिए , कविता में ही सही , आपकी बधाई के लिए धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 8, 2015 at 6:19pm
आदरणीय. सुश्री निधि अग्रवाल जी , प्रशस्ति के लिए बहुत बहुत आभार, आपकी बधाई के लिए धन्यवाद , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाशजी  दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । छंद पर आपका प्रयास सराहनीय…"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । खिल उठता है बुझा हुआ मन, आते जब…"
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी चित्रानुकूल बहुत सुन्दर छंद सृजन। हार्दिक बधाई "
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह...दीपोत्सव के हर आयाम को समेट लिया है आपके इस गीत ने।अंतिम छंद का भाव बहुत सार्थक। हार्दिक बधाई…"
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी एस टी का जिक्र रोचक बन पड़ा है। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ…"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । सरसी छंद की बीस पंक्तियों के लिए…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ हर बरस हर नगर में होता, अरबों का व्यापार।         …"
6 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  ______ जगमग दीपों वाला उत्सव,उत्साहित बाजार। जेब सोच में पड़ी हुई है,कैसे पाऊँ…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"चार पदों का छंद अनोखा, और चरण हैं आठ  चौपाई औ’ दोहा की है, मिली जुली यह ठाठ  विषम…"
17 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद * बम बन्दूकें और तमंचे, बिना छिड़े ही वार। आए  लेने  नन्हे-मुन्ने,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service