For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माटी कहे कुम्हार से

माटी कहे कुम्हार से,

मुझको दे ऐसा आकार,

फिर न चक्का चढू कभी,

मिलूं संग निराकार ...

मुझे रंग दे नाम के रंग में,

पकुं मै तप की अगन में ,

सांचा ऐसा लादे मुझको ,
ढल जाऊं मै सत्कर्म में...

चिकना इतना करदे मुझे,

माया टिके न कोई इसपे,

घट ही में अविनाशी सधे,

हो जोत अंदर परकाशी रे ...

जग तारन कारण देह धरे,

सत्कर्म करे जग पाप हरे, 

चित्त न डगमग मेरा डोले,

ध्यान तेरे चरणों में रहे...

Views: 3052

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Aarti Sharma on March 21, 2013 at 2:28pm

आपका हार्दिक धन्यवाद दिनेश सर..

Comment by Aarti Sharma on March 16, 2013 at 11:53pm

आदरणीय विजय भाई ..आपका सहृदय धन्यवाद ..आपने मेरी रचना को समय दिया ...मेरे लिए इतना ही काफी है सादर

Comment by Aarti Sharma on March 16, 2013 at 11:51pm

आपका हार्दिक धन्यवाद डॉ. स्वर्ण जी

Comment by Dr. Swaran J. Omcawr on March 15, 2013 at 1:07pm

 बहुत बढ़िया भावपूरण  आलेख 


sharing  के लिए आभार 
Comment by vijay nikore on March 9, 2013 at 1:12pm

आदरणीया आरती जी,

 

सफ़र से लौटने के बाद कई रचनाएँ सामने नहीं आईं,

अत: प्रतिक्रिया देने में देर के लिए क्षमा याचना के साथ, बहन।

 

मुझे रंग दे नाम के रंग में,

पकुं मै तप की अगन में ,

सांचा ऐसा लादे मुझको ,

ढल जाऊं मै सत्कर्म में...

सुन्दर संदेश से भरपूर

इस अच्छी रचना के लिए बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by Aarti Sharma on March 1, 2013 at 12:32am

आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीया मंजरी जी.

Comment by mrs manjari pandey on February 28, 2013 at 11:45pm

  आदरणीया  आरती जी माटी  की  पुकार क्या खूब बयां किया है।

Comment by Aarti Sharma on February 26, 2013 at 7:03pm

राजेश जी आपका तहेदिल से धन्यवाद ..आभार 

Comment by राजेश 'मृदु' on February 26, 2013 at 11:01am

बढि़या लिखा है आपने, आपका लेखन सुंदर है बाकी बात अग्रजों ने कह दी है, सादर

Comment by Aarti Sharma on February 25, 2013 at 10:20pm

आदरणीय पाठक जी ,आपका तहेदिल से शुक्रिया...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service