For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पर्यावरण दिवस पर विशेष

(मत्तगयन्द सवैया छन्द ७ भगण २ गुरु)

सोच विचार करें अब भोग प्रसार कुनीति नहीं घटती हैं
मानव में पशु वास हुआ लख स्वार्थ प्रवृत्ति नहीं नटती हैं
वृक्ष चिरें वह वृक्ष नहीं नित भूमि भुजा सुन लो फटती हैं
गाय कटें वह गाय नहीं प्रिय नित्य यहाँ बस माँ कटती हैं
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ


सर्वथा मौलिक सर्वथा अप्रकाशित

Views: 663

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on June 6, 2013 at 10:30am

प्रभूत आभार विजय जी 

Comment by विजय मिश्र on June 6, 2013 at 9:51am
शब्द कम ..सन्देश अधिक और वह भी अत्यंत महत्व का . सराहनीय .
Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on June 6, 2013 at 9:19am

प्रभूत आभार संदीप जी और सौरभ जी......आपकी प्रतिक्रिया से मेरा लेखन सफल हुआ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 6, 2013 at 7:45am

वाह .. !

इस संदेशपरक सवैया-रचना के लिए आपका सादर धन्यवाद, आदरणीय

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 5, 2013 at 9:20pm

वाह वाह सर जी अद्भुत छंद रचना .....नमन है आपकी लेखनी को ////जय हो 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on June 5, 2013 at 6:06pm

बहुत आभार लक्ष्मन प्रसाद जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 5, 2013 at 5:44pm

पर्यावरण पर अलग ही अंदाज में सन्देश देती काव्य रचना के लिए हार्दिक बधाई डॉ आशुतोष जी 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on June 5, 2013 at 5:42pm

प्रभूत आभार राम शिरोमणि जी 

Comment by ram shiromani pathak on June 5, 2013 at 5:15pm

बहुत सटीक और मार्मिक सवैया आदरणीय आशुतोष जी ///हार्दिक बधाई 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on June 5, 2013 at 4:55pm

बहुत आभार श्याम नारायण जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service