For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नियति

किसी वी आई पी के
निधन पर -
लोक सभा एवं विधान सभा ने
शोक प्रकट किया है।
शोक अक्सर प्रकट किया जाता है
कोई वी आई पी जब दिवंगत होता है।
तुम क्यूँ रोते हो ?
शायद तुम्हारे घर मे, पड़ोस मे, मुहल्ले मे –
तुम्हारा कोई अज़ीज़ दिवंगत हो गया है।
कलुआ कह रहा था
साहब, नथुवा ने
तीन दिन से खाना नहीं खाया था
बीमार था, ठंड से ठिठुर कर - दम तोड़ दिया बेचारे ने ।
उसकी घरवाली ने लाला से –
अपनी पगार मांगी थी, पर –
लाला ने दुत्कार कर भगा दिया ।
बेचारी ने भगवान से
विनती की थी
हे भगवान !
मेरे `नथु` को बचा ले ,
कष्ट से उबार दे उसे ,
मुझे उठा ले ।
किन्तु कष्ट तो नथुवा को था
भगवान ने उसका कष्ट -
हमेशा हमेशा के लिए दूर कर दिया ।
इस मुहल्ले मे नथुवा
अकेला नहीं है
कई हैं –
भूखे हैं , नंगे हैं , बीमार हैं ।
कल फिर कोई नथुवा मरेगा, पर –
उसके मरने पर
शोक प्रकट कौन करेगा ?
लोक सभा, विधान सभा
मुहल्ला, समाज, हम या तुम ?
शायद कोई भी नहीं, क्यूँ कि –
वह वी आई पी नहीं है ।
उसके मरने पर, सिर्फ कलुवा –
शोक नहीं, अफसोस प्रकट करेगा ।
लोक सभा या विधान सभा को
पता तक नहीं चलेगा , कि - उसके
देश, प्रदेश के किसी `नथुवा` ने ठंड मे भूख से तड़प तड़प कर
अपना दम तोड़ दिया है ।
------ मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 470

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 24, 2014 at 2:59am

आदरणीय ब्रह्मचारीजी, आपको इस मंच पर एक समय से पढ रहा हूँ. आपकी कविताओं के माध्यम से आपकी संवेदना और भावुकता का खूब भान होता है. संवेदनशीलता उभर आती है. हाँ यह अवश्य है कि इसे कविता बनने में तनिक समय लगेगा. प्रस्तुतियों की पंक्तियों में वस्तुतः कवितायी ही होती है, जो लेखन में कविता के होने का उद्घोष करती है. उसके लिए ही सारी कवायद करनी होती है. इसे ही हम रचनाकर्म कहते हैं. कवितायी के पूर्व प्रस्तुतियों में संभावनायें ही होती हैं जो किसी आमजन को कवि होने का मौका देती हैं.

आपकी संलग्नता उत्साहवर्द्धक है. आपमें लिखने और सुनाने के प्रति उत्साह है जिसका मैं भी सम्मान करता हूँ.  लेकिन सार्थकता के लिए सतत अभ्यास चाहिये जिसके प्रति आपसे आश्वस्ति है.

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 23, 2014 at 12:12pm

आदरणीय ब्रह्मचारी जी 

बहुत संवेदनशीलता से एक गरीब भूखे असहाय की मृत्यु पर समाज की संवेदनहीनता को अभिव्यक्त किया है...जैसे पूरा चित्र आँखों के आगे उकेर कर रख दिया गया हो. इस संवेदनशीलता के लिए हार्दिक बधाई 

अब कुछ शिल्प पर.. आदरणीय इस तरह की अभिव्यक्तियों में प्रवाह को कुछ इस प्रकार साधना होता है की प्रस्तुति गद्यात्मक न रहे.. जिस पर थोडा प्रयास अपेक्षित हैं.. वैसे सतत लेखन अभ्यास से और अन्य प्रतुतियों को समीक्षात्मक नज़रिए से पढने से ये तत्व स्वतः ही लेखन में समाहित होने लगता है.

आपकी संवेदनशील मर्मस्पर्शी वैचारिक अभिव्यक्ति के लिए सादर बधाई आदरणीय.

Comment by coontee mukerji on January 21, 2014 at 1:30am

बहुत ही मार्मिक चित्रण है भाई साहब...

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 20, 2014 at 3:53pm

बहुत ही मार्मिक प्रस्तुति आदरणीय कटु सत्य को आपने शब्दों के माध्यम से दर्शाया है बहुत बहुत बधाई आपको इस सुन्दर अभिव्यक्ति पर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
16 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service