For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: घर की अस्मत घर के बाहर रह गयी

रह गयी कुछ है यही ग़र रह गयी

घर की अस्मत घर के बाहर रह गयी

 

ज़िन्दगी तक उसकी होकर रह गयी  

अपने हिस्से की ये चादर रह गयी

 

वो मुझे बस याद आया चल दिया

शाम मेरी याद से तर रह गयी

 

तृप्ति ने बोला बकाया काम है

और तृष्णा घर बनाकर रह गयी

नाव जब डूबी तो बोला नाख़ुदा

थी कमी सूई बराबर रह गयी*

बन गई मेरी ग़ज़ल वो आ गया

कुछ खलिश फिर भी यहाँ पर रह गयी

भुवन निस्तेज

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

Views: 719

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by भुवन निस्तेज on April 17, 2014 at 8:53pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आपका सादर आभार....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 3, 2014 at 11:23am

आपकी ग़ज़ल पर एक बार आ चुका हूँ लेकिन तब मसला बह्र को लेकर था. ग़ज़ल के शेरों से बात उभर कर आवे इसकी ओर भी ध्यन देना आवश्यक है. यानि संप्रषणीयता भी हो. इस प्रस्तुति के लिए बधाई.

सादर

Comment by भुवन निस्तेज on April 2, 2014 at 9:31pm

आदरणीय rajesh kumari जी, व Dr Ashutosh Mishra जी आप लोगों का सादर आभार ...

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 28, 2014 at 1:21pm

तृप्ति ने बोला बकाया काम है

और तृष्णा घर बनाकर रह गयी  आदरणीय भुवन जी सभी शेर एक से बढ़कर एक है ..मुझे आपका यस शेर बहुत पसंद आया..तहे दिल बढ़ाई के sath


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 28, 2014 at 9:58am

बहुत अच्छी ग़ज़ल लिखी है दिल से दाद कबूलें -----उनके आने से बनी मेरी ग़ज़ल ----कैसा रहेगा ?.

Comment by भुवन निस्तेज on March 27, 2014 at 10:41pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, गिरिराज भंडारी जी, कृष्ण सिंह पेला जी व अरुन शर्मा 'अनंत' जी आप लोगों का बेहद शुक्रिया..

यदि मकते को ऐसा करें तो कैसा रहेगा कृपया सुझाव दें, शायद इससे बह्र की समस्या भी निकल जाये और तकबुल-ए-रदीफ़ दोष भी निराकरण हो जाये...

बन गई मेरी ग़ज़ल वो आ गया

 कुछ खलिश फिर भी यहाँ पर रह गयी

Comment by अरुन 'अनन्त' on March 27, 2014 at 3:35pm

आदरणीय भुवन निस्तेज जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने सभी अशआर बहुत ही बढ़िया बन पड़े हैं मेरी ओर से दाद कुबूल फरमाएं. अंतिम शे'र में तकाबुले रदीफ़ का दोष है कृपया देख लें.

Comment by Krishnasingh Pela on March 26, 2014 at 11:39pm

अादरणीय साैरभ जी से मैं सहमत हूँ । अा भुवन जी बह्र या मात्रा में काेइ समस्या नहीं । सभी शेर काविले तारीफ हैं । फिर भी मतले में मिसरा ए उला थाेडा सहज हाेता ताे सायद अभिव्यक्ति अाैर भी सुन्दर हाेती । इसी तरह पाँचवे शेर में भी । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 26, 2014 at 11:21pm

आदरणीय सौरभ भाई , आपने सही कहा है , और को    लिखने से मिसरा बह्र मे आ जायेगा ,  और लिखने की वज़ह से मिसरा बेबह्र  लग रहा है , आ, भुवन जी , और को औ कर लीजियेगा ॥

Comment by भुवन निस्तेज on March 26, 2014 at 11:01pm

परम आदरणीय गिरिराज भंडारी जी व सौरभ पाण्डेय जी मेरी कही ग़ज़ल के मिसरों पर आप जैसे महर्षियों के इस विमर्श से मुझ में निरंतर ऊर्जा का संचार हो रहा है.

मैं शायद आदरणीय सौरभ जी के मुताबिक तक्तीअ कर रहा था.

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
15 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service