For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नया तूफ़ान ........इंतज़ार

जिंदगी में कोई

क्यूँ नहीं मिलता
एक नया तूफ़ान

क्यूँ नहीं खिलता
मैं भी देख लूँ जी के

ऊँचे टीलों पे
क्या होते हैं एहसास

इन कबीलों के !

मैं भी उड़ लूँ

तूफ़ानी फिज़ाओं में
जानता हूँ एक दिन

तूफ़ान थम जायेंगे
फिर खुशिओं के

उत्सव ढल जायेंगे
और बेवफाईओं के

ख़ामोश पल आयेंगे !

मौत आ जाये बेधड़क

तूफ़ान के बवंडर में

न होने से तो

कुछ होना अच्छा होगा
प्यार ना मिलने से तो

मिलकर खोना अच्छा होगा
धोखा भी हुआ तो

क्या फ़र्क होगा
यादों की धरोहर तो मेरा हिस्सा होगा ........

************************************************

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 632

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 3, 2015 at 11:17am

आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी हार्दिक आभार ...सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 3, 2015 at 11:17am

आदरणीया MAHIMA SHREE जी शुक्रिया ...सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 3, 2015 at 11:16am

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी आपकी प्रस्तुति एवं पसन्दगी के लिये हार्दिक धन्यवाद ..सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 3, 2015 at 11:15am

आदरणीय SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR जी पसंदगी के लिये धन्यवाद ...सादर 

Comment by MAHIMA SHREE on May 1, 2015 at 6:10pm

आशावादी प्रस्तुति..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 1, 2015 at 11:01am

सुंदर प्रस्तुति, आदरणीय मोहन जी. बधाई आपको

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 30, 2015 at 1:03pm

अच्छी रचना है आदरणीय

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 30, 2015 at 11:11am

सुन्दर लेखन। जिंदगी की कशमकश  एक सच

जय  श्री राधे
भ्रमर ५

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 30, 2015 at 3:41am

आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत आभार....सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 30, 2015 at 3:40am

आदरणीय Samar kabeer जी हार्दिक आभार पसंदगी के लिये ....सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको न/गर में गाँव/ खुला याद/ आ गयामानो स्व/यं का भूला/ पता याद/आ गया। आप शायद स्व का वज़्न 2 ले…"
25 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय। देखता हूँ क्या बेहतर कर सकता हूँ। आपका बहुत-बहुत आभार।"
49 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय,  श्रद्धेय तिलक राज कपूर साहब, क्षमा करें किन्तु, " मानो स्वयं का भूला पता…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"समॉं शब्द प्रयोग ठीक नहीं है। "
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हर सिम्त वो है फैला हुआ याद आ गया  ज़ाहिद को मयकदे में ख़ुदा याद आ गया यह शेर पाप का स्थान माने…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"तन्हाइयों में रंग-ए-हिना याद आ गया आना था याद क्या मुझे क्या याद आ गया लाजवाब शेर हुआ। गुज़रा हूँ…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शानदार शेर हुए। बस दो शेर पर कुछ कहने लायक दिखने से अपने विचार रख रहा हूँ। जो दे गया है मुझको दग़ा…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मिसरा दिया जा चुका है। इस कारण तरही मिसरा बाद में बदला गया था। स्वाभाविक है कि यह बात बहुत से…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"खुशबू सी उसकी लाई हवा याद आ गया, बन के वो शख़्स बाद-ए-सबा याद आ गया। अच्छा शेर हुआ। वो शोख़ सी…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको नगर में गाँव खुला याद आ गया मानो स्वयं का भूला पता याद आ गया।१। अच्छा शेर हुआ। तम से घिरे थे…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"किस को बताऊँ दोस्त  मैं क्या याद आ गया ये   ज़िन्दगी  फ़ज़ूल …"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"जी ज़रूर धन्यवाद! क़स्बा ए शाम ए धुँध को  "क़स्बा ए सुब्ह ए धुँध" कर लूँ तो कैसा हो…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service