For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कायर ( कहानी )
-------
रक्त दान -महा दान
--------------------
बढ़ते वजन से परेशान हैं, कैंसर के मरीज को देख -सुन कर भय होता है कि कहीं ये रोग आप को भी न लग जाए. हृदय रोग और हृदय आघात की संभावना कभी भी।
आप इन जोखिमों को कम कर सकते हैं यदि आप १८ से ६५ वर्ष की आयु के स्वस्थ वयस्क हैं। बस आपको करना है नियमित रक्त दान.
४५ कि.ग्राम से अधिक वजन वाले लोग तीन माह के अंतराल पर रक्त दान कर सकते हैं।
स्वेक्षिक रक्त दान से प्राप्त रक्त ही सबसे ज्यादा सुरक्षित रक्त होता है।
गर्भवती माताओं , गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों , एच. आई. वी. हीमोफीलिया / थेलीसीमिया जैसे रोग से ग्रासितो को रक्त दान के माध्यम से दे सकते हैं जीवन दान।
आइये रक्त दान करें. खुद स्वस्थ रहें औरों को स्वस्थ करें ...

राकेश , अपने मित्रों के साथ मित्र के पिता के होने वाले आपरेशन हेतु रक्त देने अस्पताल आया था। आपरेशन बड़ा था इस लिए अधिक मात्रा में रक्त की आवश्यकता थी , रक्त जाँच कक्ष में भीड़ लगी थी। राकेश कक्ष की दीवार पर टंगे बोर्ड को ''रक्त दान - महा दान'' बार बार पढ़े जा रहा था। अन्दर ही अन्दर बहुत भयभीत था , इतना खून निकल जाएगा ?, कमजोरी आ जायेगी।? न जाने कितने प्रश्न उसके मष्तिष्क में बिजली की तरह कौंध रहे थे। काश दोस्तों के खून से ही काम चल जाए , मुझे खून न देना पड़े। मुहँ छुपा के भागना भी ठीक न था। क्या किया जाए ? विचार युद्ध में वह पराजित हुआ। फिलहाल मौके से निकल लिया जाय अगर जरूरत हुई तों फोन कर ही देंगे मित्र गण। राकेश धीरे से कक्ष से बाहर निकला और चुपके से अस्पताल परिसर से बाहर निकल गया।
सवेरे से राकेश ने कुछ खाया नही था इसलिए नुक्कड़ मोड़ पर कचौरी की मशहूर दुकान से चार पूडी खरीदीं और जल्दी जल्दी हलक के नीचे उतारने लगा। अभी खा भी नही पाया था कि मोबाइल की घंटी ने उसे चौंका दिया। एक बार सोचे कि फोन उठाऊं दूसरा मन कहे न उठा, फिर मन कहे उठा ही ले ले यार, लगता बचेंगे नही अब तों खून देना ही पड़ेगा। जिस बात से डर का भाग रहे थे वो सामने आ ही गयी । जल्दी से एक हाथ से बटन दबाया और बगैर उधर की बात सुने बोला'' दो मिनट में आ रहा हूँ, कही भागा नही हूँ। ''
अस्पताल में रक्त -दान कक्ष में जैसे ही राकेश प्रवेश करने को हुआ कि दोस्त मनोहर की आवाज ने चौंका दिया '' राकेश उधर कहाँ जा रहे हो , मेरे पीछे आओ, आपरेशन थियेटर की ओर। ''
''मनोहर आपरेशन तों दो दिन बाद था , आज ही क्यों कर रहे हैं? खून पूरा पड़ गया न ? और जरूरत तों नही ?'' राकेश मन ही मन खुश , चलो जान बच गयी।
'' राकेश तुमने फोन पर मेरी बात नही सुनी थी क्या ? फिलहाल वो खून पापा जी के नही , तुम्हारी पत्नी यानी मनु भाभी जी और भतीजी मुनिया के काम आ रहा है , स्कूल से जब मुनिया को ले कर भाभी जी घर लौट रही थीं, मोड़ पर तेज गति से आ रही मोटर साईकल से टकरा कर घायल हो गयीं हैं। इलाज चल रहा है। खून की कमी नही पड़ेगी। फिर पापा जी का आपरेशन तों दो दिन बाद होना है। हो जायेगी व्यवस्था ''
राकेश अपनी कायरता पर मन ही मन लज्जा के भँवर में डूबता चला गया। स्वतः उसके कदम मुड गए रक्त दान कक्ष की ओर।
मौलिक / अप्रकाशित
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा

Views: 668

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 17, 2015 at 9:54am

आदरणीय  JAWAHAR LAL SINGH जी सादर अभिवादन 

इतने बड़े मंच पर २ जवान समर्थन में आये , आभार सामाजिक कार्य को प्रोत्साहित करने हेतु. 

जय हो मंगलमय हो 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 9, 2015 at 12:28pm

प्रेरणादायक कहानी ... मुझे भी रक्तदान के महत्व का भान उसी समय हुआ था, जब मेरे परिजन को रक्त की जरूरत थी और मुझे मेरे विभाग के सौजन्य से तुरंत उपलब्ध हो गयी थी.   हमलोग का विभाग बीच बीच में रक्तदान शिविर का आयोजन करता है और काफी लोग स्वेच्छा से रक्तदान करते हैं. मेरी पत्नी, मेरे बच्चे भी बीच बीच में रक्तदान करते हैं.  और यह सत्य है रक्तदान महादान क्योंकि इसे अभीतक प्रयोगशाला में नहीं बनाया जा सका है.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 6, 2015 at 12:49pm

आदरणीय Sulabh Agnihotri  

सादर अभिवादन 

आभार प्रोत्साहन हेतु . 

Comment by Sulabh Agnihotri on August 6, 2015 at 11:13am

सुन्दर है !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो. . ये रौशन ज़मीरी अमल एक…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 171 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनाराण जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"वाहहहहहह गुण पर केन्द्रित  उत्तम  दोहावली हुई है आदरणीय लक्ष्मण धामी जी । हार्दिक…"
Tuesday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
Tuesday
Shyam Narain Verma commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उस के नाम पे धोखे खाते रहते हो
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service