For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तब मन मे बैराग्य हुआ

जब मेरे ही पूजित पाषाण ने

मेरा उपहास किया,

तब मन मे बैराग्य हुआ

 

जब पुल्लवित बसंत मे,

फ़ूलो ने भवरो का हास किया

तब मन मे बैराग्य हुआ

 

जब पुरवइआ के मंद झौको ने

मेरे कानो मे तेरे शब्दो का उच्चार किया

तब मन मे बैराग्य हुआ

 

जब दोनो हाँथ उठा मैने 

सपनो  उडान भरने का प्रस्ताव दिया

तब मन मे बैराग्य हुआ

 

जब संसार की सारी बेडिया तोड

 तेरी शरण मे भी बंन्धन ही पाया

तब मन मे बैराग्य हुआ

 

जब तुलसी की माला ले ,

तेरे नाम का सहस्र्त जाप किया

और

फिर भी अपने आप को अनुत्तरित ही पाया

तब मन मे बैराग्य हुआ

 

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 741

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by arunendra mishra on May 14, 2016 at 6:27pm

आदरणीय, गुरुवरो , धन्यवाद , त्रुटियो हेतु छ्मा ..बहुत सामय से हिन्दी लेखनी एवंम पठ्ने  दोनो से दूर रहा , इसी का परिणाम त्रुटियो के रुप मे दिखाइ देता है..... आपके दिये सुझावो पर अमल का पुरा प्रयास करुन्गा

Comment by रामबली गुप्ता on May 7, 2016 at 7:43pm
आपके सुंदर भावों के सम्प्रेषण हेतु ही आपको बधाई बंधुवर किन्तु गेयता और प्रवाह के दृष्टिकोण से यह किसी भी प्रकार मुझे कविता या गीत प्रतीत नही होता। इससे बेहतर होता कि आप ने इसे अतुकांत लिखा होता। किन्तु आपका प्रयास और शब्द चयन सराहनीय है। कतिपय वार्तनिक दोषों को दरकिनार कर देखें तो भावों की सम्प्रेषणीयता का बेहतर प्रयास किया है आपने। इस दृष्टिकोण से आपको पुनः बधाई
Comment by Samar kabeer on May 6, 2016 at 11:00pm
जनाब अरुणेन्द्र मिश्रा जी आदाब,प्रस्तुति अच्छी लगी,बधाई स्वीकार करें,गुणिजनों की बातों पर अवश्य ध्यान दें ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 6, 2016 at 5:42pm
मेरी समझ में आपकी आयु के हिसाब से कविता बहुत अच्छी है . मेरा एक गीत है =
उसने यूँ ही कहा गीत रचता हूँ मैं , आप हैं कि मुझे आजमाने लगे
यह हुनर तो मिला है मुझे जन्म से मांजने में इसे पर जमाने लगे . स्नेह .

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 6, 2016 at 12:47am

आदरणीय अरुणेन्द्र मिश्रा जी, संभवतः आपकी किसी पहली प्रस्तुति से गुजर रहा हूँ. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. यह भी अवश्य है कि प्रस्तुति तनिक समय चाहती है. वर्तनी और वाक्य विन्यास के साथ साथ कथ्य का स्पष्ट सम्प्रेषण भी अनिवार्य हुआ करता है. आप इस मंच पर पूर्व में प्रस्तुत हुई रचनाओं और पद्य की विभिन्न विधाओं पर उपलब्ध आलेखों का अवश्य लाभ लीजियेगा. सादर 

Comment by Sushil Sarna on May 5, 2016 at 1:25pm

आदरणीय  arunendra mishra    जी बहुत सुंदर और भावपूर्ण सृजन हुआ है। आदरणीय शाब्दिक दोष प्रवाह में बाधक हैं तथा प्रस्तुति के प्रभाव को क्षीण कर रहे हैं। इस  प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई सर। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service