For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

महाकाल दर लगो सिहस्थ (आल्हा छंद)

महाकाल दर लगो सिहस्थ है जनमन रहो हर्षाय
उज्जैनी नगरी देखो आज दुल्हनिया सी रही सुहाय
पितृ मिलन खो रेवा आई महाकाल रहे हर्षाय
शिप्रा रानी चरण पखारे., मिलन अनोखा रही कराय
एक और से गोरा रानी, लेय बलैेया नजर उतार
दूजी और गणराज हर्ष के, बहनी को है रहे निहार
कुम्भ मिलन खो सभी देवता सज धज आये खेवनहार
मित्र सुदामा राह तकत है, मित्र मिलन की प्यास जगाये
सांदीपनी घर मनमोहन आये शिक्षा रही यही पे पाय...
ब्रह्म बिष्णु नारद संग, राधे संग श्याम सरकार
सियाराम संग लछमन आये, हनुमत राम के सेवादार
जगतजननी नवदुर्गा संग शारद आई वीणा धार
इंद्र देव विश्कर्मा आय कुबेर आये रत्ना धार
उज्जैनी नगरी धर्म की नगरी डग डग महिमा वरनी न जाय
तनक दूर भोले भैरव जी, मदिरा पी टन्ना ने जाए
उतई बिराजी भूकी माता भक्त जनन है महमा गाय
सिंगवाहिनी माई विराजी ज्योत की ज्योति जगत दिखाय
मनोकामना पूरण करती जयकारो से शहर गुंजाय
मंगल करते अमंगल हरते, भोले भाले मंगल नाथ
समय चक्र को काल घुमरव बहा विराजे सिद्ध नाथ
सबकी पीड़ा हरने बाले करते कृपा भोले नाथ
सबकी नैया पार लगबे जो झुकाबे द्वारे माथ
बिगड़ी किस्मत बनती उसकी भोले होते जिनके साथ
कुम्भ में जनजन आये दूर से तर ते करते है स्नान
मंगल गावे.. भोले नाचे होते रात दिन मंगल गान
साधू सन्त ने डेरा डारो उज्जैनी सजी घर द्वार
महिमा सिहस्थ की बड़ी न्यारी भीड़ परी है अपरम्पार
12 साल में भरत मेला शिप्रा के घाट करे बेड़ापार
बड़े बड़े बाबा बड़े बड़े योगी करत दरश और बन्दनवार
पाप तारती और सबरती महिमा है बड़ी अपार
अमृत कुण्ड बन अमर करत है इनकी शोभा रही सुहाय
रेवा मिलकर शिप्रा में कल कल सरिता बड़ी सुहाए
महाकाल की कृपा पाबे रहे सभी है शीश नवाये
भोले भोले सदा ही देते बिन मांगे भरते भण्डार
नमन करत है शीश झुका के आई हूँ मैं तोहरे द्वार
शक्ति आल्हा प्रेम से गावें जय जय करता है संसार
मै तो मांगू प्रेम शांति सबमे भोले बाबा सबका करो उद्धार

शक्ति
मौलिक व् अप्रकाशित

Views: 665

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 19, 2016 at 8:27pm

आ० बबिता जी . यदि आप छंद पर प्रयास करती है तो आपको मात्राओं का ध्यान रखना पडेगा . आल्हा १६,१५ का छंद है आरा चरण के अंत में २१ जरूरी है . १६,१५ पर कवित्त /घनाक्षरी भी होती है  पर आल्हा की अपनी रिदम  भी है  उस रिदम पर चलकर मात्रिक निर्वाह करें. आप में प्रतिभा है अच्छा कर सकती  हैं . शुभ शुभ .


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 17, 2016 at 3:53pm

इस लिंक पर क्लिक करके आल्हा-छंद के शिल्प विधान पूरी जानकारी हासिल करें आ० बबिता चौबे जी:

http://openbooksonline.com/group/chhand/forum/topics/5170231:Topic:...

Comment by Samar kabeer on May 17, 2016 at 2:53pm
मोहतरमा बबिता चौबे शक्ति जी आदाब,वाक़ई उज्जैन नगरी इन दिनों दुल्हन की तरह सजा दी गई है, इस प्रस्तुति पर बधाई आपको ।
जनाब अशोक रक्ताले जी के सुझाव उत्तम हैं,ध्यान दीजियेगा ।
Comment by Ashok Kumar Raktale on May 17, 2016 at 2:27pm

आदरणीया बबिता चौबे  जी सादर, आल्हा छंद  पर   सुन्दर  प्रयास हुआ  है.लगभग हर  छंद में मात्रा बढ़ ही  रही हैं. इसलिए सर्व प्रथम मात्राएँ सही  करें. दो  छंदों  के  बीच  स्पेस न होने  से पढ़ने में कठिनाई  हुई है. छंद  के भाव उत्तम हैं. जय  श्री महाकाल .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
14 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service