For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दो कवितायें

 

दोस्त

जब मेरे पास दोस्त थे

तब दोस्तों के पास कद हद पद नहीं थे

और जब दोस्तों के पास पद हद कद थे

मेरे पास दोस्त नहीं

 

धन 

 जब मेरे पास धन नहीं था

तब समझते थे सब मुझे बदहाल

पर मैं खुश था , बहुत खुश था

और जब मेरे पास है अकूत सम्पति

दुनिया मुझे खुशहाल समझती है

और मैं  तडपता हूँ बिस्तर पर

नींद के सुकून से भरे एक झोंके के लिए 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 596

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 21, 2017 at 4:51pm

आदरणीय भाई सुरेन्द्र जी आप द्वारा मुझे सतत हौसला मिलता है आपका स्नेह यूं ही सदैव मिलता रहे इस कामना के साथ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 21, 2017 at 4:50pm

आदरणीय समीर सर ..मुझे अपनी हर रचना पर आपका मार्गदर्शन मिलता है जिससे रचनाधर्मिता की बारीकियों को सीखने में बड़ी मदद मिलती है आपको रचना पसंद आयी ये मेरे लिए आशीर्वाद है सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 21, 2017 at 4:48pm

आदरणीय अशोक सर रचना पर आपकी प्रतिक्रिया से बड़ा सुकून मिला आप सब के मार्गदर्शन से लिखने की ऊर्जा मिलती है सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 21, 2017 at 4:47pm

आदरणीय भाई ब्रिजेश जी रचना को आपका अनुमोदन मिलने से मैं आश्वस्त हूँ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 21, 2017 at 4:47pm

आदरणीय आरिफ जी .रचना पर उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभारी हूँ सादर 

Comment by नाथ सोनांचली on April 20, 2017 at 8:40am
भाई आशुतोष मिश्र जी बेहद उम्दा सर्जन, यथार्थ के बेहद करीब, बधाई।
Comment by Samar kabeer on April 19, 2017 at 9:36pm
जनाब डॉ.आशुतोष मिश्रा जी आदाब,दोनों रचनाएं अच्छी लगीं,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Ashok Kumar Raktale on April 19, 2017 at 8:51pm

आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा जी सादर,  दोस्त होने के लिए जहां किसी पद या कद की जरूरत नहीं होती है वैसे ख़ुशी पाने के लिए रुपियों पैसों की ही जरूरत नहीं होती.दोनों ही क्षणिकाएं बहुत सुंदर हुई है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 19, 2017 at 8:31pm
उत्तम..सत्य का यथार्त चित्रण..सादर
Comment by Mohammed Arif on April 18, 2017 at 5:50pm
आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी आदाब, बहुत सरल अभिव्यक्ति कर दी इपने दोनों कविताओं में । न प्रतीक, न बिम्ब । बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
20 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
23 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
23 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
23 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service