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ग़ज़ल...वही बारिश वही बूँदें वही सावन सुहाना है-बृजेश कुमार 'ब्रज'

१२२२   १२२२ ​   १२२२    १२२२​
वही बारिश वही बूँदें वही सावन सुहाना है
तेरी यादों का मौसम है लबों पे इक तराना है

तुझी को याद करता हूँ तेरा ही नाम लेता हूँ
यही इक काम है बाकी तुझे अपना बनाना है

कभी जाये न ये मौसम बहे नैंनो से यूँ सावन
दिखाऊँ किस तरह जज्बात​ राहों में जमाना है

रही बस याद बाकी है यही फरियाद बाकी है
सुनाऊँ क्या जमाने को खुदी को आजमाना है

मिलन होता न उल्फत में कटेगी जिन्दगी पल में
ये साँसें हैं बिखर जायें अमर अपना फसाना है​
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

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Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 22, 2017 at 10:17am
आदरणीय अजय जी हार्दिक आभार..
Comment by Ajay Tiwari on October 18, 2017 at 7:03am

आदरणीय बृजेश जी,

उम्दा ग़ज़ल हुई है. शुभकामनाएं.

सादर 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 18, 2017 at 11:21pm
आदरणीय श्रीवास्तव जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार..सादर
Comment by MUKESH SRIVASTAVA on September 18, 2017 at 4:48pm

वही बारिश वही बूँदें वही सावन सुहाना है
तेरी यादों का मौसम है लबों पे इक तराना है KYA BAT MITRA

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 11, 2017 at 6:45pm
उत्साहवर्धन के लिए ह्र्दयतल से आभारी हूँ आदरणीय रविन्द्र पाण्डे जी..
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 11, 2017 at 6:44pm
आपका हार्दिक अभिनन्दन है आदरणीय मुकेश जी..
Comment by Ravindra Pandey on September 10, 2017 at 9:31am

सहज, सरस, प्रवाहयुक्त पंक्तियाँ हैं....  बहुत बहुत बधाई हो आपको... जनाब...

http://kavi-ravindra.blogspot.in

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on September 9, 2017 at 11:08pm
sundr rachnaa bahee jee]
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 31, 2017 at 7:54pm
हाहाहा...बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सलीम साहब..
Comment by SALIM RAZA REWA on August 30, 2017 at 10:33pm
बृजेश जी तमाम खूबसूरत शेर के लिए बधाई,

तुझी को याद करता हूँ तेरा ही नाम लेता हूँ
यही इक काम है बाकी तुझे अपना बनाना है

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